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करौंदा के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थीं उचेहरा धाम की ज्वाला माता

शक्तिपीठ उचेहराधाम में जवारा कलशों की स्थापना शुक्रवार 24 मार्च को होगी। मंदिर में पंचमी तक दस हजार से ज्यादा जवारा कलशों के स्थापना का अनुमान है। यहां नवरात्र के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचेंगे। इस बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के प्रधान  ने बताया कि उचेहरा धाम का जवारा विसर्जन नौ दिन बाद 1अप्रैल को किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मंदिर में सप्तमीं 30 मार्च को मनाई जाएगी और सप्तमी की शाम मां ज्वाला काली के रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगी। अष्टमी को महागौरी के रूम में मां का श्रंगार होगा। मंदिर में आरती सुबह साढ़े चार बजे और शाम साढ़े सात बजे होगी। उचेहरा धाम में ज्वारा कलशों का शुल्क 101 रुपये, ज्योति कलश तेल 501 रुपये और ज्योति कलश घी का शुल्क 1001 रुपये तय किया गया है।

करौंदे के पेड़ के नीचे हुईं प्रकट

माँ ज्वाला उचेहरा वाली का स्थान बहुत प्राचीन हैं। ग्राम उचेहरा से पूर्व दिशा की ओर घोड़छत्र नदी के किनारे बांधवगढ़ के विकराल घने जंगल के बीच माँ ज्वाला विराजमान थीं। बहुत समय से उचेहरा एवं आस-पास के ग्रामों के निवासी समय-समय पर इस स्थान पर पहुंच कर पूजन अर्चन करते थे। चैत्र नवरात्र में जवारे स्थापित किये जाते थे माँ ज्वाला विलुप्त अवस्था में मौजूद थी। इसी स्थान पर माँ ज्वाला जी के मंदिर का निर्माण उचेहरा ग्राम के निवासियों द्वारा किया गया।

उपासना का प्रताप

मान्यता है कि उचेहरा ग्राम के निवासी भंडारी सिंह माँ ज्वाला जी के अनन्य भक्त है, जो घोड़छत्र नदी के किनारे बाधवगढ़ के घने और विकराल जंगल में नित-प्रतिदिन सुबह शाम माँ ज्वाला जी की पूजा करने जाया करते थे। माँ ज्वाला उनकी भक्ति से अति प्रसन्न होकर घोड़छत्र नदी के किनारे उस करौंदा पेड़ के नीचे जंहा वे आदिकाल से विलुप्त अवस्था में विराजमान थी, वँहा पर मेरा पुनः प्रादुर्भाव हुआ। ऐसी मान्यता है कि देवी मां ने अपने भक्त भंडारी सिंह को आज्ञा दी कि इसी स्थान पर माँ ज्वाला जी की एक मंदिर का निर्माण करवाओ और मेरी भक्ति इसी तरह निःस्वार्थ भाव से करते रहो। इसी स्थान पर एक विशाल महायज्ञ का आयोजन ग्रामवासियों द्वारा किया गया।

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