भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में बृहस्पति, जानें भरणी नक्षत्र के सभी चरणों में गुरु का कैसा रहता है प्रभाव
देवगुरु बृहस्पति 6 अगस्त को सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर मेष राशि में भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं। भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का प्रवेश 21 जून को हुआ था और 27 नवंबर इस नक्षत्र में रहेंगे, इसके बाद बृहस्पति अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। बृहस्पति एक राशि में 13 महीनों तक रहते हैं और इस वक्त मंगल की राशि मेष में मौजूद हैं। जब कोई ग्रह किसी राशि में प्रवेश करता है, तब उस राशि के अंतर्गत आने वाले नक्षत्रों में भ्रमण करते हुए फिर दूसरे राशि परिवर्तन होता है। इस तरह बृहस्पति इस वक्त मेष राशि में हैं तो वह इस राशि के सभी नक्षत्रों से होकर गुजरेंगे, फिर इसके बाद वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति भरणी नक्षत्र के चारों चरणों से गुजरेंगे तब इसका प्रभाव देश दुनिया समेत सभी राशियां, करियर, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जीवन पर पड़ेगा। आइए जानते हैं भरणी नक्षत्र में बृहस्पति के गोचर का चारों चरणों पर कैसा प्रभाव रहेगा…
भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का पहला चरण
भरणी नक्षत्र के पहले चरण के स्वामी सूर्य देव हैं और इस चरण पर मंगल, शुक्र और सूर्य का ज्यादा प्रभाव रहता है। बृहस्पति जब इस चरण से होकर गुजरते हैं तब व्यक्ति का भाग्योदय, अच्छा भाषण देने वाला, परिवार के प्रति समर्पित होता है। ऐसे व्यक्ति के मन धर्म कर्म के कार्यों में अधिक लगता है और वरिष्ठ व्यक्तियों और भगवान के प्रति आदर रखता है। इस चरण के व्यक्तियों को अच्छा जीवनसाथी मिलता है, जिनके साथ अच्छे बूरे दौर सभी कट जाते हैं। ये किसी उच्च पद को प्राप्त करते हैं और सभी के साथ अच्छा व्यवहार रखते हैं। व्यक्ति के अच्छे कर्मों की वजह से महापुरुषों का दर्शन मिलता है और इनकी मदद के लिए सभी तैयार रहते हैं।
भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का दूसरा चरण
भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण के स्वामी ग्रहों के राजकुमार बुध देव होते हैं और इस चरण पर मंगल, शुक्र और बुध ग्रह का प्रभाव रहता है। बृहस्पति जब इस चरण से होकर गुजरते हैं तो व्यक्ति ईमानदार, धार्मिक, काम के प्रति समर्पित, दृढ़ इच्छा वाला और भरी सभा में चतुराई दिखाने वाला है। ऐसे लोगों का में पढ़ाई लिखाई में अधिक लगता है और कार्यों को लेकर अधिक चतुराई से पूरा करते हैं। विपरीत लिंग के प्रति जल्दी आकर्षित होते हैं और लव मैरिज की अधिक संभावनाएं रहती हैं। इनका स्वभाव थोड़ा डरपोक वाला होता है लेकिन अपने चाहने वालों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बृहस्पति की वजह से बोलचाल में चतुराई आ जाती है, जिससे अटके कार्यों को पूरा कर लेते हैं।
भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का तीसरा चरण
भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण के स्वामी भौतिक सुख सुविधाओं के स्वामी शुक्रदेव है और बृहस्पति का गोचर 6 अगस्त को इसी चरण में हो रहा है। इस चरण पर शुक्र और मंगल का अधिक प्रभाव रहता है। बृहस्पति जब इस चरण में होते हैं तब व्यक्ति बलवान, निरोगी, धार्मिक, सम्मानित, बलवान और नीति में विश्वास रखने वाला है। ऐसे व्यक्ति को यात्राएं करना बहुत पसंद होती हैं और सभी को साथ लेकर चलने वाले होते हैं। हालांकि ऐसे व्यक्ति को वाहन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। परिवार की जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हैं और दान पुण्य के कार्य अधिक रखते हैं। इनको किताबें पढ़ने का शौक होता है और व्यक्ति 32 वर्ष पूरे करने के बाद सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत करता है। ऐसे व्यक्ति के काफी मित्र होते हैं, जो इनकी हर समय मदद के लिए तैयार रहते हैं।
भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का चौथा चरण
भरणी नक्षत्र के चौथे चरण के स्वामी ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह हैं। इस चरण पर शुक्र तथा मंगल का प्रभाव अधिक रहता है। बृहस्पति जब इस चरण से होकर गुजरते हैं, तब व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और किसी ना किसी तरह का भय बना रहता है। हालांकि ये तंत्र मंत्र में काफी पारंगत होते हैं और दूसरों को नुकसान पहुंचा कर खुद का फायदा करने का प्रयास करते हैं। इनके व्यवहार और भाषा की वजह से इनको ज्यादा सम्मान नहीं मिलता और ज्यादातर अकेले रहते हैं। इनको धन संचय करने में मुश्किलें आती हैं और दूसरों का धन लेकर रख लेते हैं लेकिन लौटाने में आनाकानी करते हैं।