हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। साल में 12 अमावस्या होती हैं, इनमें से कुछ अमावस्या को विशेष माना गया है। जेष्ठ अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी दिन पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें वट सावित्री का व्रत करती हैं। ज्येष्ठ महीने की इस अमावस्या पर तीन महत्वपूर्ण पर्व पड़ते हैं। इस दिन शनि जयंती भी पड़ती है और महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन प्रात : सुबह उठकर स्नान करना, व्रत और वट वृक्ष की पूजा करना लाभदायक होता है। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई को पड़ रही है। यानी इस दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा और शनि जयंती भी मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा शनिदेव भगवान विष्णु और भगवान शंकर की भी कृपा होती है। इस आर्टिकल में जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और महत्व।
तिथि
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई की शाम 9 बजकर 42 मिनट पर होगी और 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 19 मई को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी।
मुहूर्त
1.ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान का मुहूर्त – सुबह 05.15 से शाम 04.59 बजे तक
2.वट सावित्री पूजा मुहूर्त – सुबह 05.43 से सुबह 08.58 बजे तक
3.शनि देव पूजा मुहूर्त – शाम 06.42 से रात 07.03 बजे तक
ज्येष्ठ अमावस्या पर जरूर करें ये काम
– ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें और बहते जल में काले तिल प्रवाहित करें। ऐसा करने से कई कष्टों से मुक्ति मिलति है।
– ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें और गरीबों को दान-दक्षिणा दें।
– इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती औ। सुहागिनों को यम देवता की पूजा करनी चाहिए। सुहाग की चीजें बांटनी चाहिए।
– ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती के शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले पुष्प चढ़ाएं। इसके साथ ही शनि चालीसा का जाप करें।