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इस्राइली सुरक्षा बलों ने पहली बार शिरीन की मौत के लिए मांगी माफी, कहा- हम चाहते हैं कि पत्रकार…

वाशिगठन : एक जानी मानी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की पिछले साल मई में वेस्ट बैंक में गोली लगने से मौत हो गई थी। उत्तरी वेस्ट बैंक के जेनिन कस्बे में हुई इस्राइली सेना की गोलीबारी में शिरीन की हत्या को कतर आधारित मीडिया और फलस्तीन ने अपराध बताया है। उस समय वह रिपोर्टिंग कर रही थीं।

पिछले साल हुई थी मौत

एक जानी मानी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत के लिए एक साल बाद गुरुवार को पहली बार इस्राइली सेना ने माफी मांगी है। गौरतलब है, अकलेह की मौत उस वक्त हुई थी जब पिछले साल 11 मई को गाजा में इस्राइल उत्तरी वेस्ट बैंक में सशस्त्र फलस्तीनी समूह के गढ़ जेनिन शरणार्थी शिविर में एक अभियान चलाया था। शिरीन यहां पर लाइव रिपोर्टिंग कर रही थीं। इसी दौरान चली एक गोली से उनकी मौत हो गई थी। इस घटना में उनके साथी पत्रकार अली अल समुदी को भी गोली लगी थी।

आइडीएफ के मुख्य प्रवक्ता ने मांगी माफी

इस्राइली सुरक्षा बलों (आइडीएफ) के मुख्य प्रवक्ता रियर एडमिनिस्ट्रेटर डैनियल हागरी ने एक साक्षात्कार में माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे पास यहां कहने का अवसर है कि हम शिरीन की मौत के लिए बहुत दुखी हैं। वह एक अच्छी पत्रकार थीं। उन्होंने आगे कहा कि इस्राइल में हम अपने लोकतंत्र को महत्व देते हैं और लोकतंत्र में, हम स्वतंत्र पत्रकारिता देखते हैं।

हागरी ने कहा कि हम चाहते हैं कि पत्रकार इस्राइल में सुरक्षित महसूस करें। खासकर युद्ध के समय में, चाहें वे उस दौरान हमारी आलोचना ही क्यों न कर रहे हों।

20 पत्रकारों की हो चुकी है मौत

बता दें, यह बयान एक रिपोर्ट आने के बाद सामने आया है, जिसमें कहा गया था कि पिछले दो दशकों में कम से कम 20 पत्रकारों की हत्याओं पर इस्राइली सेना से कोई जवाब नहीं मांगा गया है। वहीं एक प्रेस ग्रुप के अनुसार, साल 2001 के बाद से इस्राइली सेना के हमले में कम से कम 20 पत्रकारों की मौत हो चुकी है। मारे गए पत्रकारों में से करीब 18 फिलिस्तीनी थे। कहा गया है कि इन मौतों के लिए किसी को भी आरोपित या जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।

हालांकि, इस्राइली सुरक्षा बलों ने पहली बार पिछले साल सितंबर में माना था कि दुर्घटनावश अबू अकलेह को गोली लग गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी।

हाल ही में, आईडीएफ हमले के दौरान नागरिकों को हुए नुकसान के लिए खेद जताया था। उन्होंने कहा था कि वह प्रेस की स्वतंत्रता की सुरक्षा और पत्रकारों के पेशेवर काम को बहुत महत्व देता है। सेना किसी को जानबूझकर निशाना नहीं बनाता है। युद्ध में गोलीबारी उस समय की जाती है, जब कोई रास्ता नहीं बचा हो।

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