यूक्रेन युद्ध का खामियाजा भुगतेगी भारतीय नौसेना, रूस देरी से देगा ब्रह्मोस से लैस महाव‍िनाशक युद्धपोत

मास्‍को: चीन के खतरे का सामना कर रही भारतीय नौसेना की तैयारियों को दोस्‍त रूस से बड़ा झटका लगा है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से भारत के नौसेना के अंदर दो एडमिरल ग्रिगोरोविच क्‍लास के युद्धपोतों को शामिल करने की योजना में एक साल की देरी हो गई है। अब यह रूस निर्मित फ्रीगेट साल 2025 में भारतीय नौसेना को मिल पाएगा। ये दोनों ही गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट प्रोजेक्‍ट 1135.6P/M के तहत रूस के कालिनगार्ड स्थित यांतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं। यह रूसी इलाका उत्‍तरी यूरोप में है और बेलारूस के पास स्थित है।

यह फ्रीगेट इससे पहले साल 2024 के पहले छह महीने में मिलना था लेकिन अब इसमें देरी हो गई है। इसकी वजह यह है कि रूस युद्धपोतों का निर्माण बहुत धीरे-धीरे कर रहा है और उसका पूरा फोकस युक्रेन युद्ध पर है। यूरोएशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक पहले साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन की वजह से युद्धपोत के निर्माण में देरी हुई और अब साल 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने की वजह से इसमें देरी हो रही है। इससे पहले साल 2020 में रूसी फेडरल सर्विस ने दावा किया था कि वह इन युद्धपोतों को साल 2024 तक दे देगी लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा है।

रूसी युद्धपोत कितना शक्तिशाली?

इन युद्धपोतों का निर्माण बहुत धीमी गति से साल 2020 और साल 2021 में बढ़ा। हालांकि युद्धपोतों को अब पानी में उतार दिया गया है जिससे यह पता चलता है कि इसके सभी महत्‍वपूर्ण उपकरणों को फिट कर दिया गया है। अब बाकी के फिटिंग के काम को पूरा किया जा रहा है। उधर, भारतीय नौसेना इन युद्धपोतों के लिए पहले ही चालक दल के सदस्‍यों का चुनाव कर चुकी है। जल्‍द ही इन चालक दल के सदस्‍यों को कालिनग्राड भेजा जाएगा। यह यूनिट बाद में युद्धपोत का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेगी।

इसके बाद इन फ्रीगेट को शामिल करके उन्‍हें भारत लाया जाएगा। भारत और रूस ने साल 2016 में एक समझौता किया था जिसके तहत यांतर शिपयार्ड को इन दो फ्रीगेट को बनाना था। दो फ्रीगेट भारत में बनाए जाने थे। यह पूरी डील उस समय ढाई अरब डॉलर की थी। ये नए फ्रीगेट ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस होंगे। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल है। इसके अलावा इसमें कैलिबर एंटी शिप मिसाइल भी लगाई जाएगी। फ्रीगेट में एक 100 मिलीमीटर की तोप और विशाल टारपीडो भी लगाया जाएगा। इस पर एक हेलिकॉप्‍टर भी उतर सकेगा जो समुद्र में सबमरीन के खिलाफ अभियान चला सकता है। इस युद्धपोत की रफ्तार 30 नॉट होगी। इसे 30 दिन तक समुद्र में आराम से ऑपरेट किया जा सकेगा।

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