देश की राजधानी दिल्ली के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में 11 और 12 दिसंबर, 2024 को आयोजित भारत समुद्री विरासत सम्मेलन (India Maritime Heritage Conference) 2024 का उद्देश्य भारत की प्राचीन समुद्री परंपराओं को पुनर्जीवित करना है। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश और दुनिया के प्रमुख वक्ता, समुद्री विशेषज्ञ और नीति निर्माता शामिल हुए।
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय श्रम और रोजगार और युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, टी.के. रामचंद्रन, सचिव MoPSW, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।
भारत के प्राचीन समुद्री इतिहास को श्रद्धांजलि- मंत्री सर्बानंद
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि गुजरात के लोथल में बन रहा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex) भारत के प्राचीन समुद्री इतिहास को एक स्मारकीय श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करेगा। उन्होंने इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नए भारत’ के विजन से प्रेरित बताया।
लोथल: 5000 साल पुराना समुद्री केंद्र
सर्बानंद सोनोवाल ने सम्मेलन में बताया कि लोथल, जो 5000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख समुद्री केंद्र था, आज भी भारत की प्राचीन समुद्री प्रगति का प्रतीक है। राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर न केवल भारत के गौरवशाली अतीत को संरक्षित करेगा बल्कि देश को समुद्री शक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा।
उपराष्ट्रपति धनखड़ का संबोधन
सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र, देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी समुद्री विरासत भारत की प्राचीन सभ्यता का अभिन्न हिस्सा है। लोथल का समुद्री विरासत परिसर इसे संरक्षित करने और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
भारत के समुद्री इतिहास को समझने का प्रयास
दो दिवसीय सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में भारत की समुद्री विरासत के विविध पहलुओं पर चर्चा हुई। सत्रों में प्राचीन व्यापार नेटवर्क, तटीय समुदायों के जीवन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर रोशनी डाली गई।
लोथल में बन रहा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को संरक्षित करने का केंद्र बनेगा। यह पहल देश के समुद्री इतिहास को विश्व पटल पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।