नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर से बुरी तरह लताड़ दिया। वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति (जीसीटीएस) की 8वीं समीक्षा वाले प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने खुलकर आतंकवाद को लेकर अपनी बात रखी।
उन्होंने साफ कहा कि आतंकवादी सिर्फ आतंकवादी होते हैं। अच्छे या बुरे नहीं होते हैं। आतंकी घटनाओं के पीछे की मंशा के आधार पर आतंकवादियों को बांटना बेहद ‘खतरनाक’ है। इससे वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ चल रही मुहिम प्रभावित होगी।
रुचिरा ने क्या-क्या कहा?
रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘आतंकवादी कृत्यों के पीछे की मंशा के आधार पर आतंकवाद के वर्गीकरण की प्रवृत्ति खतरनाक है। ये स्वीकृत सिद्धांतों के खिलाफ जाती है कि ‘आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की जानी चाहिए और आतंकवाद के किसी भी कार्य के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता है।’
रुचिरा ने इस बात पर जोर देकर कहा कि सभी प्रकार के आतंकी हमले, चाहे वह इस्लामोफोबिया, सिख विरोधी, बौद्ध विरोधी या हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह से हों, वह निंदनीय हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नई शब्दावली और झूठी प्राथमिकताओं के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है जो आतंकवाद के संकट से निपटने के अपने फोकस को कमजोर कर सकते हैं।
आतंकवाद के अलग-अलग वर्गीकरण से बचना चाहिए
रुचिरा ने कहा कि अच्छे या बुरे आतंकवादी नहीं हो सकते। इस तरह का दृष्टिकोण हमें केवल 9/11 के पूर्व के युग में वापस ले जाएगा। जिसमें आतंकवादियों को आपके आतंकवादी और मेरे आतंकवादी के रूप में लेबल किया जाएगा।
आतंकवादियों को शरण देने वाले देशों को चिन्हित किया जाना चाहिए
उन्होंने दक्षिणपंथी, उग्रवाद, अति दक्षिणपंथी या अति वामपंथी उग्रवाद जैसे शब्दों पर भी आपत्ति जताई। कहा कि इस तरह के शब्द निहित स्वार्थों द्वारा इन शर्तों के दुरुपयोग के लिए द्वार खोलता है। इसलिए, हमें विभिन्न प्रकार के वर्गीकरण प्रदान करने से सावधान रहने की आवश्यकता है, जो लोकतंत्र की अवधारणा के खिलाफ ही हो सकता है।
रुचिरा ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आतंकवादियों को शरण देने वाले देशों को चिन्हित किया जाना चाहिए। उनके कार्यों के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।