हिंदू ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है और ऐसी मान्यता है कि कोई भी जातक अपने जीवनकाल में जैसा कर्म करेगा, उसी के अनुरूप शनिदेव उसे साढ़े साती के दौरान फल देते हैं। आमतौर पर लोग शनि की साढ़े साती लगने की बात पर ही भयभीत हो जाते हैं। ऐसे में यदि लग्न कुंडली के मुताबिक आप पर भी शनि की साढ़े साती चल रही है और शनिदेव के साथ साथ अन्य ग्रहों के प्रभावों को कम करने के लिए ये उपाय आजमा सकते हैं|
जीवन में एक जरूर आती है शनि की साढ़े साती
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में कम से कम एक बार शनि की साढ़े साती जरूर आती है। जन्म लग्न या चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि के गोचर होने को ही साढ़े साती काल कहा जाता है। शनि की साढ़ेसाती को दुर्दिन या पनौती भी कहा जाता है।
साढ़े साती दूर करने के लिए जरूर आजमाएं ये उपाय
शनि की साढ़े साती के असर से बचने के लिए हमेशा महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा घर में कोई भी शुभ कार्य स्त्री के हाथों से ही कराना चाहिए। वृद्ध व्यक्ति एवं अपाहिजों की सेवा करने से भी शनि ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है। चरण छूकर आशीर्वाद लेने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। यदि कोई महिला शनिदेव को सच्चे मन से अपने भाई के समान ही सम्मान देती है तो उस पर शनिदेव की विशेष अनुकंपा होती है।
शनिवार को काले कुत्ते एवं कौए को मीठी रोटी डालने से भी शनिदेव अति प्रसन्न होते हैं। गौरतलब है कि किसी भी राशि में शनि 2.5 वर्ष तक रहते हैं। 3 भावों में होने के कारण कुछ राशियों में ये साढ़े सात साल तक भी रहते हैं। साढ़े साती के भी तीन चरण होते हैं जो ढाई-ढाई साल के होते हैं। जिनमें प्रथम चरण का असर आर्थिक, दूसरे चरण का असर पारिवारिक और तीसरे चरण का असर सेहत पर पड़ता है।