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CG : कभी कांग्रेस सरकार के मंत्री ने दी थी IAS पी.दयानंद को धमकी.. कहा था ‘मेरे टारगेट में है’, अब बने सेक्रेटरी टू सीएम…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग ने मंगलवार की देर रात बड़ा आदेश जारी किया है। 2006 बैच के आईएएस पी दयानन्द को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें सेक्रेटरी टू सीएम बनाया गया है। पी दयानंद पिछली कांग्रेस की सरकार में लूप लाइन पर भेज दिए गए थे। सचिव स्तर के अधिकारी होने के बाद भी वह गुमनाम रहे लेकिन नई सरकार में वह अब सबसे पावरफुल अफसर के तौर पर काम करने के लिए तैयार है। पी दयानंद बिहार के रहने वाले है। वह चार जिलों में कलेक्टरी का भी अनुभव रखते है। उन्होंने बस्तर क्षेत्र में तैनाती के दौरान समग्र शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय काम भी किये है।

पिछली बार सरकार बदली थी तब वह कोरबा के बिलासपुर के कलेक्टर थे। जिसके बाद उन्हें प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा बना दिया गया। इसके बाद वह वापसी नहीं कर पाएं। इसकी वजह थी तत्कालीन सरकार में राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री और कोरबा विधायक रहे जयसिंह अग्रवाल के साथ उनकी अनबन।

जब कांग्रेस के मंत्री ने कहा था ‘मेरे टारगेट में है’
दरअसल कोरबा कलेक्टर रहते हुए पी. दयानंद और स्थानीय विधायक रहे जयसिंह के बीच सम्बन्ध बेहतर नहीं थे। जयसिंह ने उन्हें भ्रष्ट अधिकारी बताया था साथ ही उनपर डीएमएफ फंड में गड़बड़ी किये जानें जैसे भी आरोप लगाए थे। लेकिन सरकार में मंत्री बनते ही जयसिंह ने उन्हें सीधे निशाने पर ले लिया। जयसिंह ने मंत्री बनने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस किया था और कहा था कि पी दयानंद उनके टारगेट में है। बकौल मंत्री अग्रवाल उन्होंने निगम कमिश्नर को उनके घर के नपाई के लिए भेजा था। अग्रवाल ने यह भी कहा था कि वह अफसर के हर घपले की जाँच भी कराएँगे। बहरहाल अब सरकार बदल चुकी है। जयसिंह अग्रवाल अब न मंत्री है और न ही विधायक जबकि पी दयानंद अब नई साय सरकार में सबसे पावरफुल अफसर।

कौन है पी दयानंद
पी दयानंद मूलतः बिहार राज्य के सासाराम जिले के रहने वाले है। वह 2006 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस है। बिलासपुर और कोरबा समेत वह चार जिलों की कमान भी सम्हाल चुके है। उन्हें नक्सल क्षेत्र में काम करने का भी अनुभव है। उन्होंने अपना प्रोबिशन पीरियड दंतेवाड़ा जिला पंचायत में सीईओ रहते हुए पूरा किया था। इसके बाद वह सुकमा के कलेक्टर बने। यहाँ उन्होंने एजुकेशन हब की नींव रखी। पी दयानन्द शांत लेकिन तेज तर्रार अफसरों में गिने जाते रहे है। प्रशासनिक कसावट की वजह से ही उन्हें बिलासपुर जैसे जिले की कलेक्टरी का मौका मिला।

 

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