जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर में सैंकड़ों साल पुराना चमत्कारिक नगाड़ा मौजूद है। सैंकड़ों साल पहले डोम राजाओं के जमाने के इस नगाड़े के बारे में बताया जाता है कि, पुराने समय में नदी में बाढ़ या किसी अनिष्ट की आशंका पर यह नगाड़ा खुद ही बज उठता था। सुनसान जगह पर रखे इस नगाड़े को जिस किसी ने चोरी करने की कोशिश की तो उसकी मौत हो गई और उसके परिवार का विनाश हो गया। पढ़िए क्या है इस नगाड़े की कहानी…
जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड के रानीकोम्बो में ईब नदी के किनारे दो नगाड़े रखे हैं जिन्हें जोड़ा नगाड़ा और विजय डंका भी कहते हैं। बताया जाता है कि, डोम राजाओं के जमाने में युद्ध मे जीत के बाद इस डंके को बजाया जाता था इसी वजह से इसे विजय डंका कहते हैं। यह कोई सामान्य नगाड़ा नहीं बल्कि डोम समाज के लोगों और स्थानीय लोगों की मानें तो यह एक चमत्कारिक नगाड़ा है। पुराने समय में जब डोम राजाओं और साम्राज्य के ऊपर कोई विपत्ति आने वाली हो या फिर जिस जगह पर यह नगाड़ा रखा था उसके किनारे बहने वाली ईब नदी में बाढ़ आने वाली हो तो ये नगाड़ा खुद ही बज उठता था जिसकी वजह से सभी लोग सचेत हो जाया करते थे।
सैंकड़ों साल से सुरक्षित है नगाड़ा
सैंकड़ों साल बाद आज भी यह नगाड़ा सुरक्षित है। यह नगाड़ा खुले में खजूर पेड़ के नीचे पड़ा रहा। 2011 में भाजपा नेता स्व दिलीप सिंह जूदेव ने इस नगाड़े को सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए रंगमंच निर्माण के लिए डोम समाज को फंड दिया था। जिसके बाद उस फंड से मंदिरनुमा छत बनाया गया और जब इस नगाड़े को उस स्थान पर 2014 में ले जाया जा रहा था तो नगाड़ा अपनी जगह से हिला ही नहीं। फिर डोम समाज के वरिष्ठजनों और लोगों ने कुछ दिनों पूजापाठ की जिसके बाद यह नगाड़ा उठा था।
जिस किसी ने चुराने की कोशिश की तो उसकी मौत हो गई
2014 से यह नगाड़ा छत के नीचे सुरक्षित रखा है। समाज के लोगों ने बताया कि, कुछ लोगों ने इस नगाड़े को चोरी भी कर लिया था लेकिन यह नगाड़ा खुद वापस इसी स्थान पर पहुंच जाता है। जिस भी व्यक्ति ने इस नगाड़े को चोरी की या तो उसकी मौत हो गई या तो उसके परिवार का विनाश हो गया।डोम समाज के साथ अन्य समाज के लोग भी इस स्थान पर आकर पूजा- पाठ करते हैं और इस स्थान पर जो भी मन्नत मांगी जाती है वो पूरी होती है।