‘कैसे बने ऐसे गेमिंग जोन, जवाब दें’, राजकोट अग्निकांड से गुजरात HC नाराज; नगर निगम से पूछे कई सवाल

राजकोट : राजकोट अग्निकांड मामला अब गुजरात हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले पर कल यानी सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय कल राज्य के गेम जोन पर निर्देश जारी कर सकता है।
शनिवार 25 मई को राजकोट अग्निकांड में 12 बच्चों समेत 35 लोगों की मौत हो गई है। मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। SIT टीम को 72 घंटों के बीच राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दे दिया गय है। आग कैसे और क्यों लगी? इसकी जांच की जाएगी।
इस त्रासदी पर गुजरात HC ने क्या कहा?
राजकोट अग्निकांड को गुजरात हाई कोर्ट ने ‘मानव निर्मित आपदा’ करार दिया है। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की पीठ ने कहा कि इस तरह के गेमिंग जोन और मनोरंजक सुविधाएं सक्षम प्राधिकारियों से आवश्यक मंजूरी लिए बिना बनाई गई हैं।
पीठ ने मांगा नगर निगम के वकीलों से जवाब
पीठ ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगमों के वकीलों को सोमवार को उनके समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया कि कानून के किन प्रावधानों के तहत प्राधिकारियों ने इन यूनिट को स्थापित होने दिया या अपने अधिकार क्षेत्र में इनका संचालन जारी रखने दिया।
‘खबरों को पढ़कर हैरान हैं हम’
अदालत ने कहा, ‘हम समाचार पत्रों में छपी उन खबरों को पढ़कर हैरान हैं, जिनमें बताया गया है कि राजकोट में गेमिंग जोन ने गुजरात व्यापक सामान्य विकास नियंत्रण विनियमन (जीडीसीआर) की खामियों का फायदा उठाया है। समाचार पत्रों के अनुसार, ये मनोरंजन क्षेत्र सक्षम अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी लिए बिना बनाए गए हैं।’
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और नगर निगमों से यह भी जानना चाहा कि ‘क्या ऐसे लाइसेंस, जिनमें इसके उपयोग और अग्नि सुरक्षा नियमों के अनुपालन के लाइसेंस भी शामिल हैं’ इन संबंधित (मनोरंजन) क्षेत्रों को दिए गए हैं, जो इन निगमों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में हैं?