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Holashtak: इस तारीख से लग जाएंगे होलाष्टक, 8 दिन तक नहीं कर सकेंगे ये सभी कार्य

भारतीय पंचांग के अनुसार होली का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आता है। इसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के दिन अलग-अलग प्रकार से होली खेली जाती है। होली के त्योहार से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। इस शब्द की उत्पत्ति होली और अष्टक से हुई है।

होलाष्टक का अर्थ होली के आठ दिनों से होता है। वेद-शास्त्रों के अनुसार इन आठ दिन में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक लगे रहते हैं।

इस साल 28 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 7 मार्च तक रहेंगे। होलिका दहन 7 मार्च 2023 को होगा। वहीं 8 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। आइए जानते हैं कब से लग रहे हैं होलाष्टक और इन दिनों कौन से कार्य करने से बचना चाहिए।

पढ़िए होलाष्टक की कहानी

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय कामदेव ने महादेव भगवान शिव की तपस्या को भंग कर दिया था। इस बात से नाराज भगवान शिव ने तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया कामदेव के प्राण जाने की खबर सुनकर उनकी पत्नी ने भगवान शिव से प्रार्थना की तो उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवन प्रदान कर दिया। तब से ही होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है। आपको बता दें कि होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का अंत हो जाता है।

होलाष्टक में इन कामों को नहीं करने चाहिए

 

होलाष्टक में कोई धातु जैसे सोना-चांदी नहीं खरीदना चाहिए

होलाष्टक के आठ दिनों में किसी भी प्रकार का नया वाहन खरीदना अशुभ होता है

होलाष्टक में भवन निर्माण या प्रॉपर्टी लेन- बेच का कार्य भी नहीं करना चाहिए

होलाष्टक में मांगलिक जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश जैसे कार्य भी नहीं करने चाहिए

हवन, यज्ञ, भागवत या रामायण जैसे कार्य भी होलाष्टक में नहीं करने चाहिए

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