छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम

रायपुर : छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने एक दूरगामी और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसके तहत राज्य के 10,463 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य न केवल विद्यालयों की कार्यक्षमता बढ़ाना है, बल्कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना भी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ में शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सशक्त और व्यावहारिक पहल है। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि प्रदेश के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और आधुनिक शिक्षा मिले। युक्तियुक्तकरण से शिक्षकों की उपलब्धता बेहतर होगी, संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित होगा और विद्यार्थियों को स्थायी रूप से पढ़ाई का लाभ मिलेगा।

क्या है स्कूलों का युक्तियुक्तकरण?

युक्तियुक्तकरण का अर्थ है, विद्यालयों का पुनर्गठन इस प्रकार करना कि जहां शिक्षकों की संख्या कम है वहां आवश्यकता अनुसार शिक्षक उपलब्ध कराए जा सकें और जहां छात्रों की संख्या अत्यधिक कम है, उन्हें पास के विद्यालयों में समाहित कर शिक्षा की निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। यह प्रक्रिया शिक्षण व्यवस्था की कुशलता और संसाधनों के प्रभावशाली उपयोग पर आधारित है।

इस निर्णय के तीन मुख्य उद्देश्य

10,463 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण:

जिन स्कूलों में छात्र संख्या बहुत कम है, या शिक्षक अनुपलब्ध हैं, उन्हें समीपवर्ती स्कूलों में मिलाकर बेहतर शैक्षणिक वातावरण प्रदान किया जाएगा।

शिक्षकों की कमी होगी पूरी:

शिक्षकों के स्थानांतरण और पुनर्नियोजन के माध्यम से स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

शैक्षणिक संसाधनों का समुचित उपयोग:

शैक्षणिक सामग्री, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएं जैसे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा ताकि सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिल सके।

क्यों जरूरी है यह निर्णय?

छत्तीसगढ़ में कई दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है, वहीं शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण पढ़ाई में व्यवधान होता है। कई स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं या प्रयोगशालाएं उपलब्ध नहीं हैं। इस स्थिति में युक्तियुक्तकरण एक समाधानपरक दृष्टिकोण है, जो शिक्षा के स्तर को समान रूप से ऊँचा उठाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से किसी भी क्षेत्र की शैक्षणिक पहुंच प्रभावित नहीं होगी, बल्कि छात्रों को बेहतर सुविधाएं और शिक्षकों का सहयोग मिलेगा।

विशेषज्ञों और समाजसेवियों ने की सराहना

शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों और समाजसेवियों ने इस निर्णय को प्रशंसनीय और दूरदर्शी बताया है। उनका मानना है कि इससे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में समानता आएगी, बल्कि सरकार के संसाधनों का बेहतर उपयोग भी हो सकेगा।

भविष्य की योजना

राज्य सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि युक्तियुक्तकरण के साथ-साथ डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लासरूम और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी मजबूती से आगे बढ़ाया जाएगा। इससे छत्तीसगढ़ के बच्चों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर की शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी।

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