रायपुर: डॉ. चंद्रावती नागेश्वर की लघुकथाएं जहां एक ओर व्यक्तिगत और पारिवारिक रिश्तों पर केंद्रित हैं वहीं दूसरी ओर उसमें सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं पर भी आपने अपनी लेखनी चलाई है। जीवन के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित करती इनकी लघुकथाएं विचार और व्यवहार को प्रभावित करती है। डॉ. चंद्रावती नागेश्वर की पुस्तक ‘आधी अधूरी रोशनी’ एवं ‘आलेख मणिका’ के छत्तीसगढ हिन्दी साहित्य मंडल के तत्वावधान में सिविल लाइन, रायपुर स्थित वृन्दावन सभागार में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर डॉ. मृणालिका ओझा ने कहा।
उक्त कार्यक्रम में डॉ. चंद्रावती नागेश्वर, अमरनाथ त्यागी, माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, शीलकांत पाठक, अंबर शुक्ला ‘अंबरीश’, राजेन्द्र ओझा, लतिका भावे, तेजपाल सोनी, सुरेंद्र रावल, डॉ. जे. के. डागर, एन. के. चंचलानी, मोहन श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, अजीत शर्मा, राधा मोहन श्रीवास्तव, रिक्की बिंदास, यशवंत यदु आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए एवं काव्य पाठ भी किया।कार्यक्रम का संचालन सुनील पांडे एवं आभार तेजपाल सोनी द्वारा किया गया।