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19 जून से शुरू होगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, यह है कलश स्‍थापना व पूजन का समय

gupt navratri

भक्तों को नवरात्रि का इंतजार हमेशा बना रहता है। हिंदू धर्म में दुर्गा माता की पूजा के लिए नवरात्रि के नौ दिनों को अधिक शुभ माना गया है। नवरात्रि साल में चार बार पड़ती है। इसमें गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ मास में होती है। इसके साथ ही शारदीय और चैत्र नवरात्रि होती है। पंचांग के अनुसार, साल का चौथा मास आषाढ़ माह आरंभ हो चुका है।

चार नवरात्रि में दो नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा सार्वजनिक रूप से और दो की पूजा गुप्त रूप से की जाती है। गुप्त नवरात्रि गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग नहीं करते हैं। इस आर्टिकल में गुप्त नवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में जानेंगे। इस साल गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से शुरू होकर 28 जून तक होगी।

कलश पूजन व शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 जून को सुबह 10:06 बजे से आरंभ होगी और 19 जून को सुबह 11:25 बजे पर समाप्त होगी। उदया तिथि के हिसाब से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से होगी। गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून सोमवार को सुबह 05:23 से 07:27 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त इसी दिन सुबह 11:55 से दोपहर 12:50 मिनट बजे तक रहेगा।

कैसे करें यह पूजा

गुप्त नवरात्रि में पूजा करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठना जाना चाहिए और स्नान व स्वच्छ वस्त्र धारण कर तन-मन से पवित्र हो जाना चाहिए। इसके बाद शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और गंगा जल से पवित्र करें। पूजा शुरू करने से पूर्व मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें और नवरात्रि तक जल का छिड़काव करते रहें। इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का जप करें।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि तंत्र साधकों के लिए काफी खास होती है। गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है। तंत्र साधनाओं को गुप्त तरीके से किया जाता है। इसी के कारण इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ करने से मनचाहा फल मिलता है।

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