सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें कहा कि सरकार हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति मानकर कब्जा नहीं कर सकती। 9 जजों की पीठ ने 7:1 के बहुमत से यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ खास संपत्तियों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर आम जनता के हित में उपयोग कर सकती है। इस फैसले से निजी संपत्ति धारकों को बड़ी राहत मिली है।
1978 के अपने ही फैसले को पलटा
इस मामले में कोर्ट ने 1978 में दिए गए फैसले को पलट दिया, जिसमें जस्टिस कृष्णा अय्यर ने सभी निजी संपत्तियों को भी सामुदायिक संसाधन के दायरे में लाने की वकालत की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में यह बेंच महाराष्ट्र सरकार के एक कानून से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट का मानना है कि संपत्तियों पर सरकारी कब्जा उचित नहीं है जब तक कि वह सीधे तौर पर समाज के लिए लाभकारी न हो।