अगले वित्त वर्ष में भी सात प्रतिशत रह सकती है जीडीपी विकास दर

नई दिल्ली। कोरोना महामारी और उसके ठीक बाद भू-राजनीतिक उथल-पुथल से जहां दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्था दो प्रतिशत की विकास दर हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में भी सात प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकती है। इतना ही नहीं अगले तीन साल में ही भारतीय अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी और भारत आर्थिक आकार के लिहाज से अमेरिका व चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर होगी अर्थव्यवस्था
वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार सात ट्रिलियन डॉलर का होगा। आगामी वित्त वर्ष के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट से ठीक तीन दिन पहले वित्त मंत्रालय की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी विस्तृत रिपोर्ट में इन बातों का खुलासा किया गया है। अंतरिम बजट की वजह से अभी आर्थिक सर्वेक्षण नहीं आएगा। आर्थिक सर्वेक्षण जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से पहले पेश किया जाएगा।
विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने जीडीपी विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और अगले वित्त वर्ष में भी अगर हमारी विकास दर अनुमान के मुताबिक सात प्रतिशत रहती है तो कोरोना काल के बाद चौथे साल भी हम सात प्रतिशत की दर से विकास करेंगे। अच्छी बात यह है कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-दिसंबर में देश की खुदरा महंगाई दर 5.5 प्रतिशत रही और आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई दर में कमी का अनुमान है।
इन सेक्टर्स में आई मजबूती
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी और वैश्विक उथल-पुथल की बड़ी चुनौतियों के बीच भारत इसलिए विकास कर रहा है क्योंकि पिछले 10 सालों में सरकार की आर्थिक नीतियों ने हमारी बुनियाद को मजबूत बना दिया है। कृषि से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग और डिजिटल सेवा की बदौलत सर्विस सेक्टर में मजबूती आई है।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में लगातार बढ़ोतरी से देश में बंदरगाह से लेकर एयरपोर्ट और सड़क से लेकर बिजली व्यवस्था चुस्त हुई जिससे कारोबार की लागत कम हो रही है और विदेशी व घरेलू दोनों ही निवेश में बढ़ोतरी हुई है।
2015 से लेकर वित्त वर्ष 2024 3.3 गुना हुई वृद्धि
वित्त वर्ष 2015 से लेकर वित्त वर्ष 2024 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में 3.3 गुना बढ़ोतरी हुई। इससे निजी खपत में भी बढ़ोतरी हुई। पिछले कई सालों से पर्सनल लोन व फूड लोन को छोड़ अन्य लोन में दहाई अंक में बढ़ोतरी जारी है जो अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शा रहा है।
इन चीजों को लेकर है आशंका
हालांकि वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर के बीच कुछ चीजों को लेकर आशंका भी जाहिर की गई है जो हमारी विकास गति को प्रभावित कर सकती है। एक आशंका वैश्विक स्तर पर घटते व्यापार को लेकर है और मैन्यूफैक्चरिंग पर वैश्विक निवेश संकुचित हो रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि भारत के लिए मौके की कमी है। लाल सागर का व्यवधान भी भारत के लिए चुनौती है क्योंकि इससे हमारा निर्यात प्रभावित होने जा रहा है। रिपोर्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सर्विस सेक्टर के लिए बड़ी चुनौती बताई गई है।