नई दिल्ली: दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के संगठन जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक गुरुवार को सुबह 9.20 मिनट पर राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में शुरु हुई। बैठक के शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में तुर्की व सीरिया में आए भयंकर भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए एक मिनट का मौन धारण किया गया है। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी के संदेश के साथ बैठक की आधिकारिक शुरुआत हुई।
फेल है ग्लोबल गर्वनेंस व्यवस्था- पीएम
अपने संदेश में पीएम मोदी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक गवर्नेंस की जो व्यवस्था बनाई गई थी वह असफल हो चुकी है। खास तौर पर पिछले दो वर्षों के दौरान दुनिया में महामारी, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा और युद्ध का जो अनुभव हुआ है उससे भी यह साफ हो रहा है। वैश्विक गर्वनेंस की असफलता का सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों को उठाना पड़ रहा है। पीएम मोदी ने विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज की स्थिति के मुद्दे को भी उठाया। साथ ही उन्होंने खाद्य व ऊर्जा को लेकर बढ़ रही चुनौतियों को भी गिनाया।
चुनौतियों से लड़ने के लिए उठाने होंगे सख्त कदम
पीएम मोदी ने भरोसा जताया कि महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध की धरती से प्रेरणा ले कर जी 20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्री विश्व के समक्ष मौजूदा चुनौतियों के समाधान को लेकर गंभीर प्रयास करेंगे। पीएम मोदी ने आगे कहा कि हाल में आए प्राकृतिक आपदाओं से हजारों लोगों की जानें गई हैं। साथ ही सदी की सबसे बड़ी महामारी को अभी झेला गया है। इसके साथ साथ वैश्विक आपूर्ति भी पूरी तरह से बिगड़ गई है। उन्होंने कहा कि यह स्थितियां बताती है कि हमें हमारे समाज में, अर्थव्यवस्था में और ढांचागत क्षेत्र में सुधार के लिए ज्यादा मजबूती से कदम उठाना होगा।
G-20 के सभी देश मिलकर करेंगे कार्य- पीएम
पीएम ने अपने संबोधन में यह कहा कि जी-20 देशों को अहम भूमिका निभानी होगी। पीएम मोदी ने यह भी भरोसा जताया कि जी-20 संगठन के देश आपसी मतभेद को भुला कर महत्वाकांक्षी और बेहतर नतीजे को ध्यान में रख कर कदम उठाना होगा। पीएम मोदी ने अंत में कहा कि हमें जो मुद्दे आपसी में संगठित करते हैं उस पर ध्यान देना होगा नहीं कि उन मुद्दों पर जो विभेद पैदा करते हैं।
जोरों-शोरों से उठाया जाएगा यूक्रेन रूस युद्ध का मुद्दा
जी-20 बैठक की अध्यक्षता इस साल भारत कर रहा है। दिल्ली में चल रही विदेश मंत्रियों की बैठक इस संगठन के तहत मंत्रीस्तरीय की दूसरी बैठक है। इस बैठक में 20 सदस्यीय देशों के अलावा भारत की तरफ से विशेष तौर पर आमंत्रित नौ देशों के विदेश मंत्रियों के साथ-साथ 13 वैश्विक संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित हैं। दिन में दो सत्रों में चलने वाली इस बैठक के काफी हंगामेदार होने की संभावना है। माना जा रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस की तरफ से यूक्रेन पर रूस के हमले के मुद्दे को काफी जोर-शोर उठाया जाएगा।