Site icon khabriram

विदेश मंत्री बोले- ताइवान के निवेशक भारत में इनवेस्ट करने के लिए बेताब, हमारे संबंध पकड़ रहे गति

josef-yu

ताइपे : चीन के साथ ताइवान का विवाद किसी से छिपा नहीं है। कई मुद्दों पर भारत ने ताइवान का समर्थन भी किया है। ताइवान के विदेश मंत्री जौशीह जोसेफ वू ने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते से ताइवानी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के आधार पर स्थापित करने के लिए बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।

विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि ताइवान अपनी उन कंपनियों को प्रोत्साहित कर रहा है जिनको चीन का बाजार लाभदायक नहीं लगता है। ताइवान ने उनसे कहा है कि उन्हें उत्पादन सुविधाओं के लिए अपना कारोबार भारत में स्थानांतरित करना चाहिए। वू ने कहा कि भारत तेजी से उभरती हुई शक्ति है और तेजी से आर्थिक विकास की तरफ बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि भारत और ताइवान के बीच मुक्त व्यापार समझौता व्यापक व्यापार और निवेश संबंधों की बाधाओं को दूर करेगा और इससे ताइवान की कंपनियों को विभिन्न उपकरणों और कच्चे माल के लिए ज्यादा शुल्क का भुगतान किए बिना विनिर्माण केंद्र स्थापित करने में मदद मिलेगी।

भारत के लिए क्यों लाभदायक है ताइवान

ताइवान दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत से अधिक सेमीकंडक्टर और 90 प्रतिशत से अधिक सबसे उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है जो स्मार्टफोन, कारों, डेटा सेंटरों, लड़ाकू जेट और एआई प्रौद्योगिकियों जैसे लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक हैं। वहीं भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन से कई समझौते किए हैं, इसके तहत कंपनी भारत में एक विनिर्माण सुविधा स्थापित कर रही है। इस कंपनी के सबसे बड़े ग्राहकों में एपल भी शामिल है।

हमारे व्यापार संबंध पकड़ रहे गति

ताइवान के विदेश मंत्री ने कहा कि ताइपे और नई दिल्ली का एफटीए वार्ता शुरू करने का समय आ गया है। दोनों पक्ष पहले ही एफटीए के लिए अध्ययन कर चुके हैं और समझौते के लिए प्रारंभिक चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारे व्यापार संबंध गति पकड़ रहे हैं। ताइवान के निवेशक भारत में निवेश करने के लिए बेताब हैं और ताइवान और भारत के बीच सेमीकंडक्टर सहयोग को दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

Exit mobile version