खुशहाल जीवन और धन प्राप्ति के लिए शनिवार के दिन जरूर करें नवग्रह स्त्रोत का पाठ

शनिवार न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनि की विशेष पूजा उपासना की जाती है। शनि कर्म के अनुसार जातक को फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शनि रंक से राजा बना देते हैं। वहीं, कुकर्म करने वालों का बुरा हाल होता है। ज्योतिषियों की मानें तो साढ़ेसाती और शनि की ढैया में व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक पीड़ा होती है। इस दौरान व्यक्ति हर समय मुसीबत से घिरा रहता है।

परिवार में कलह की स्थिति बनी रहती है। कुल मिलाकर कहें तो व्यक्ति का बुरा हाल रहता है। ऐसा परिस्थिति में जातक को नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनिवार को नवग्रह स्त्रोत करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है कि लगातार 40 दिनों तक नवग्रह स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए पढ़ें नवग्रह और शनि स्त्रोत का पाठ।

नवग्रह स्तोत्र

ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:।

विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे रवि: ।।1।।

रोहिणीश: सुधा‍मूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।

विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे विधु: ।।2।।

भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।

वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीड़ां हरतु में कुज: ।।3।।

उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।

सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीड़ां हरतु मे बुध: ।।4।।

देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।

अनेकशिष्यसम्पूर्ण:पीड़ां हरतु मे गुरु: ।।5।।

दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।

प्रभु: ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।6।।

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:।

मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।7।।

अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्।

उत्पातरूपो जगतां पीडां पीड़ां मे तम: ।।8।।

महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।

अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीड़ां हरतु मे शिखी: ।।9।।

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