दुर्ग। छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हिशा बघेल का सोमवार (17 अप्रैल) उनके गांव में ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत हुआ. हिशा अग्निवीर बनने के बाद पहली बार दुर्ग ज़िले में स्थित अपने गांव बोरीगारका पहुंची थीं. दुर्ग स्टेशन पर उतरते ही गांव वालों ने हिशा को गाड़ी में बिठाया और पूरे गांव में डोल-नगाड़ों के साथ रोड शो किया. इस दौरान हिशा के चेहरे पर खुशी देखते ही बनती थी लेकिन हिशा को क्या मालूम था कि उसकी यह खुशी मात्र कुछ ही देर की है. जैसे ही हिशा घर की दहलीज पर पहुंची उसके चहरे पर मातम छा गया. घर के आंगन में पिता की फूलमाला लगी तस्वीर देखकर हिशा रोने लगी. उसे समझ आ गया था कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे.
वर्दी पहनकर अपने पिता गले लगाने के हिशा के अरमान धरे के धरे रह गए. ताउम्र जिस पिता ने कड़ी मेहनत कर निशा को बड़ा किया आज उस पिता को खुशी देने के लिए हिशा बेताब थी लेकिन वह ऐसा कर न सकी. पिता को गले लगाने के बजाय उसे पिता की तस्वीर को गले लगाना पड़ा.
हिशा के पिता एक ऑटो ड्राइवर थे और कैंसर से पीड़ित थे. घरवालों ने अबतक हिशा से उसके पिता की मौत की बात छुपाकर रखी थी ताकि उसकी ट्रेनिंग में कोई बाधा न आए. हिशा के पिता ने अपनी बेटी को ट्रेनिंग पर जाने से पहले अंतिम बार अलविदा कहा था.
हिशा के पिता की अंतिम इच्छा की कि उसकी बेटी जब ट्रेनिंग कर घर वापस आए तो उसका ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया जा, इसकी वजह से हिशा के भाई ने अपनी बहन के स्वागत में यह व्यवस्था की थी. घर की दहलीज पर पहुंचते ही पिता की तस्वीर देखकर हिशा अपनी मां से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी और इसके बाद अपने पिता की फोटो पर माला चढ़ाकर उन्हें सैल्यूट किया.