शीर्ष नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर तीन लाख के ईनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण

कांकेर : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अंतागढ़ में तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली सन्नु माड़वी ने आत्मसमर्पण किया है। इनामी नक्सली सन्नु माड़वी ने नक्सली विचारधाराओं को त्याग कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अंतागढ़ के सामने आत्मसमर्पण किया। शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर तथा नक्सलियों के खोखली विचारधारा, उनके शोषण, अत्याचार, हिंसा से तंग आकर सीपीआई माओवादी संगठन अंतर्गत प्रतिबंधित माओवादी संगठन मिलिट्री प्लाटून नंबर पांच के सेक्शन ए का डिप्टी कमांडर सदस्य सन्नु माड़वी उर्फ शिवाजी उम्र 32 वर्ष साकिन ग्राम छिंदपारा मनकेलीयाना जिला बीजापुर का निवासी है। जो नक्सली संगठन में वर्ष 2005 से सक्रिय था।

छत्तीसगढ़ शासन की इनाम पालिसी के तहत सन्नु माड़वी नक्सली सदस्य पर तीन लाख रुपये का इनाम घोषित है। 18 जुलाई को इन्द्राज सिंह, महानिरीक्षक बीएसएफ छत्तीसगढ़ फ्रंटियर, अजय अग्रवाल उप महानिरीक्षक बीएसएफ इंटलिजेंस ब्रांच फ्रंटियर हेड क्वार्टर मिलाई, हरेन्दर पाल सिंह सोही उप महानिरीक्षक बीएसएफ सेक्टर हेडक्वार्टर कांकेर, नवल सिंह सेनानी 135वीं वाहिनी बीएसएफ अंतागढ़, खोमन सिन्हा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अंतागढ़ के समक्ष अंतागढ़ में आत्मसमर्पण किया। एसपी दिव्यांग पटेल द्वारा आत्मसमर्पित नक्सली को प्रोत्साहन राशि 25000 रुपये नगद प्रदान किया गया एवं शासन से प्राप्त सहायता नियमानुसार प्रदाय की जाएगी।

बीजापुर जिले के रहने वाले नक्सली सन्नु माड़वी ने अपने बयान में बताया कि 2005 में सलवा जुडूम के दौरान उसका घर जला दिया गया था, जिसके बाद नक्सली संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने उसे लालच देकर अपने साथ जोड़ा। उसे बताया गया कि नक्सली संगठन में शामिल होने पर रहने और खाने की सुविधा दी जा रही है, जिसके कारण वह संगठन में बाल सदस्य के रूप में जुड़ गया। वो बीजापुर, राजनांदगांव और कांकेर जिले में सक्रिय रह चुका है। 2005 में 3 माह नक्सलियों के कंपनी नम्बर- 2 में रहने के बाद उसे 2006 में कांकेर जिले के परतापुर एरिया कमेटी में भेज दिया गया था, जहां उसे कंपनी नम्बर 5 का डिप्टी कमांडर बनाया गया था। यहां उसने 2016 तक काम किया।

आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने दी सलाह

इसके बाद उसने संगठन की ही एक महिला नक्सली से विवाह किया, तो उसे सभी पद से हटाकर उसका डिमोशन कर दिया गया, हालांकि बाद में फिर प्रमोशन करके उसे बीजापुर के गंगालूर एरिया कमेटी वापस भेजा गया था। धीरे-धीरे नक्सल संगठन के गलत व्यवहार और जंगल में रहने से होने वाली तकलीफ के कारण वह भागकर अपने घर चला गया, जहां पहले से आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने उसे भी सरेंडर करने की सलाह दी, जिसके बाद वह कांकेर वापस आकर बीएसएफ के सामने सरेंडर कर रहा है।

बड़ी नक्सली घटनाओं में रहा शामिल

आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली सन्नु माड़वी उर्फ शिवाजी 2009 में हुए मदनवाड़ा हमले में भी शामिल था, जिसमें एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 2006 में दंतेवाड़ा में सीआइएफ जवानों पर हुए हमले में भी वो शामिल रहा है। इसमें 8 जवानों बलिदान हुए थे। कोंडागांव जिले के विश्रामपुरी में 2007 में थाने में हुए हमले में भी सन्नु माड़वी उर्फ शिवाजी शामिल रहा है, जिसमें 3 जवान बलिदान हुए थे। कुल मिलाकर सन्नु माड़वी उर्फ शिवाजी 45 जवानों की हत्या में शामिल रहा है।

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