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CG : अनशन पर बैठा स्वतंत्रता सेनानी का परिवार, सम्मान में मिली जमीन पर मालिकाना हक की मांग

मनेन्द्रगढ़। एक तरफ जहां देश आजादी के  जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है , वहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार अनशन पर बैठा है। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौजीलाल जैन का परिवार आमरण अनशन पर बैठा है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के सम्मान के रूप में जमीन दी गई थी, लेकिन आज तक उसका लाभ उनके वारिसों को नही मिल पाया है। जिससे अब परिवार के लोग दर दर भटकने को मजबूर है।

दरअसल मनेन्द्रगढ़ निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्व.मौजीलाल जैन को शासन द्वारा वर्ष 1974-75 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के सम्मान के रूप में जमीन दी गई थी।लेकिन आज तक उसका लाभ उनके वारिसों को नही मिल पाया है जिससे परिवार के लोग दर दर भटकने को मजबूर है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की  बहू दया जैन व पोते विशाल जैन ने 12 अगस्त को कलेक्टर डी. राहुल वेंकट को ज्ञापन सौंप कर उचित कार्यवाही करने और सम्मिलित खाते की भूमि पर हक दिलाने की मांग की थी।  लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नही हुई। इसके पूर्व में भी एसडीएम मनेन्द्रगढ़ को भी इस संबंध में ज्ञापन दिया गया था।

ज्ञापन के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही 

कलेक्टर को दिये गये ज्ञापन में उल्लेख किया है कि, मेरे ससुर मौजीलाल जैन का वर्ष 1985 में देहावसान हो गया। उसके बाद से उक्त भूमि का कब्जा हमें नहीं मिल पा रहा है। मेरे पति कैलाश चन्द्र जैन का कोरोना काल के दौरान निधन हो गया था। उनके निधन के बाद मेरे दो बेटों के सामने गुजर बसर की समस्या पैदा हो गई है। दया जैन के दो बेटे है जिसमे बड़ा बेटा अमित जैन मानसिक रूप से बीमार है। कलेक्टर को सौंपे गये ज्ञापन में अनुरोध किया गया था कि मेरे स्व.ससुर को शासन द्वारा दी गई भूमि का कब्जा दिलवाने की कृपा करें। ऐसा नहीं होने की स्थिति में मैं अपने बच्चों के साथ 14 अगस्त को आमरण अनशन में बैठूंगी। जिसकी समस्त जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।

सम्मान में मिली जमीन पर नहीं मिला हक 

50 सालों से सम्मान में मिली जमीन पर मालिकाना हक के लिये संघर्ष और तमाम आवेदन निवेदन के बाद अब जैन परिवार के सब्र का बांध टूट गया है। पूर्व सूचना के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई पहल नही किये जाने के कारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के वारिस मनेन्द्रगढ़ के जय स्तम्भ के सामने अनशन पर बैठ गये है।अपनी जायज मांग को लेकर अब इनको और कितना संघर्ष करना पड़ेगा या प्रशासन नैतिकता के आधार पर इनकी जमीन दिलाये जाने का प्रयास करेगा।

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