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इस आरती के साथ करें छठ पूजा व्रत का समापन, संतान सुख के साथ पूरी होगी हर मनोकामना

chaat puja

छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाए के साथ हो चुकी है और आज खरना की रस्म निभाई जाएगी, जिसमें महिलाएं घर में नए चूल्हे पर पहली बार छठी माता के लिए प्रसाद बनाएगी। छठ व्रत हिन्दू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। 4 दिनों मनाया जाने वाला छठ पर्व यदि भक्त सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं, तो परिवार की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, पर छठी माता और सूर्य भगवान की विशेष आराधनी की जाती है। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, छठ पूजा का इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विधि-विधान के साथ पूजा करने के बाद छठी माता की यह आरती जरूर करना चाहिए।

छठी मैया की आरती

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।

सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय करें इस मंत्र का जाप

ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।

अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।

ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ सूर्याय नम:

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:

ॐ भानवे नम:

ॐ खगाय नम:

ॐ घृणि सूर्याय नम:

ॐ पूष्णे नम:

ॐ हिरण्यगर्भाय नम:

ॐ मरीचये नम:

ॐ आदित्याय नम:

ॐ सवित्रे नम:

ॐ अर्काय नम:

ॐ भास्कराय नम:

ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

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