चुनाव आयोग ने कहा कि वैसे भी चुनाव खत्म होने के बाद सभी बूथों पर मौजूदा राजनीतिक दलों के एजेंटों को फार्म-17सी मुहैया कराया जाता है जिसमें उस बूथ पर कितने वोट पड़े है उसका पूरा ब्योरा मौजूद रहता है। जिन्हें मतदान प्रतिशत में गड़बड़ी का संदेह है वे फार्म-17सी से मिलान कर सकते हैं। हालांकि चुनाव आयोग इससे पहले भी इसको लेकर जवाब दे चुका है।
लोकसभा चुनाव के समय से मतदान प्रतिशत को लेकर मोर्चा खोले विपक्ष को चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत जुटाने का न सिर्फ पूरा गणित समझाया है बल्कि बगैर समझे चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जताने को गलत बताया है।
आयोग ने कहा कि वैसे भी चुनाव खत्म होने के बाद सभी बूथों पर मौजूदा राजनीतिक दलों के एजेंटों को फार्म-17सी मुहैया कराया जाता है, जिसमें उस बूथ पर कितने वोट पड़े है उसका पूरा ब्योरा मौजूद रहता है। जिन्हें मतदान प्रतिशत में गड़बड़ी का संदेह है, वे फार्म-17सी से मिलान कर सकते हैं।
विपक्ष के सवालों का चुनाव आयोग ने दिया जवाब
आयोग ने कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों को यह जवाब लोकसभा चुनाव के दौरान भी दिया था, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के दौरान विपक्ष ने जब इस मुद्दे को फिर से तूल दिया तो आयोग ने मंगलवार को इसे लेकर न सिर्फ लिखित में जवाब दिया है, बल्कि आयोग ने पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची में भी इससे संबंधित सवाल-जवाबों को शामिल किया है।
आयोग का कहना है कि मतदान के दिन वैसे भी मतदान प्रतिशत के जो आंकड़े दिए जाते हैं, वे संभावित होते हैं, न कि अंतिम आंकड़े। ये आंकड़े मतदान के दिन पांच बार सभी बूथों से जुटाए जाते हैं जो सुबह नौ बजे, 11 बजे, दोपहर एक बजे, तीन बजे और शाम को पांच बजे जुटाए जाते हैं। इन्हें जुटाए जाने के आधे घंटे बाद जारी किया जाता है। यानी जो आंकड़े नौ बजे जुटाए जाते हैं, उन्हें जोड़कर साढ़े नौ बजे तक जारी किया जाता है।
ईवीएम जमा कराने का काम अमूमन सात बजे से शुरू होता है
आयोग के मुताबिक कई बार मतदान का समय छह बजे तक रहता है, तो कई बार लंबी लाइनों के चलते मतदान रात में आठ बजे तक चलता रहता है। यह इसलिए होता है कि क्योंकि आयोग का नियम है कि मतदान के समय तक जितने लोग लाइन में लग जाते हैं, उन्हें मतदान करने का मौका दिया जाएगा। मतदान जैसे ही खत्म होता है, मतदान कर्मी बूथ में हुए मतदान का पूरा ब्यौरा फार्म-17सी में दर्ज करके उसकी एक-एक प्रति सभी प्रत्याशियों के एजेंटों को देकर और उनके सामने ही ईवीएम को सील करके उन्हें जमा कराने के लिए रवाना हो जाता है।
स्ट्रांग रूम में ईवीएम जमा कराने का काम अमूमन सात बजे से शुरू होता है, जो रातभर चलता है। इस दौरान जैसे-जैसे ईवीएम मशीनें जमा होती जाती हैं, उस बूथ के मतदान का अंतिम ब्योरा भी आनलाइन अपलोड कर दिया जाता है।
आयोग के मुताबिक, वह अमूमन 11 बजे तक दर्ज हो चुके ब्योरे को 11.30 बजे जारी कर देता है। लेकिन इसके बाद भी मतदान टीमों के आने, ईवीएम को जमा करने और ब्योरे को अपलोड करने का काम जारी रहता है तो अगले दिन सारा ब्योरा अपलोड होने के बाद अंतिम मतदान प्रतिशत जारी किया जाता है।
इसलिए दिखती है मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी
आयोग ने मतदान प्रतिशत में मतदान के दिन और अंतिम आकंड़ों में बढ़ोतरी के विपक्ष के सवालों का भी जवाब दिया है। आयोग ने कहा कि प्रत्येक बूथ पर हुए मतदान का ब्योरा जब तक फार्म-17सी से मिलानकर दर्ज नहीं हो जाता, तब तक मतदान प्रतिशत के अनुमानित आंकड़े ही दिए जाते हैं। इन्हें दर्ज करने का काम अमूमन मतदान के अगले दिन सुबह तक चलता है। ऐसे में अंतिम आंकड़े अगले दिन ही आते हैं।
आयोग के मुताबिक, वैसे भी मतदान के दिन मतदान अधिकारियों की ओर से जो आंकड़े दिए जाते हैं, वे थोड़े कम करके ही बताए जाते हैं, ताकि गणना में किसी तरह की गड़बड़ी हो तो उसे सुधारा जा सके। मतदान के चार दिन बाद मतदान प्रतिशत में होने वाले बदलाव के आरोपों को भी आयोग ने स्पष्ट किया और कहा कि पुनर्मतदान की स्थिति में मतदान के अंतिम आंकड़े चार दिन बाद जारी होते हैं।
ईवीएम में अधिक वोट मिलने को लेकर भी साफ की स्थिति
आयोग ने इस दौरान कुछ जगहों पर बूथ पर कुल हुए मतदान से अधिक वोट ईवीएम में मतगणना के दौरान पाए जाने के मामले भी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि वैसे तो ऐसा नहीं होता है। लेकिन कुछ जगह पर जब मतदान शुरू होने से पहले कराए जाने वाले मोक पोल को रद नहीं दिया जाता है, तो मोक पोल के दौरान डाले गए वोट ईवीएम में कुल हुए मतदान में अधिक दिखने लगते हैं। हालांकि जैसे ही बात संज्ञान में आती है तो तुरंत वीवीपैट पर्चियों से मिलानकर रद कर दिया जाता है।