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रूस में है धरती का कब्रिस्तान, यहीं पैदा हुआ था सोवियत यूनियन का परमाणु हथियार

kabristhaan

मॉस्को: रूस के पहाड़ों की गहराई में एक सीक्रेट शहर है, जो चर्नोबिल से भी ज्यादा रेडियोएक्टिव है। रूस के यूराल पहाड़ों के विशाल जंगलों में ओजर्सक नाम का शहर है, जो बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ है। यह सोवियत संघ के परमाणु कार्यक्रम का जन्मस्थान है। यहां के संरक्षित दरवाजे और कटीले तारों की बाड़ के पीछे पहेली है। सतह पर यह जगह सामान्य दिख सकती है। यहां दुकानें, स्कूल, रेस्तरां और अपार्टमेंट हैं। लेकिन यह एकदम दूसरी दुनिया की जगह लगता है।

ओजर्सक के निवासियों को अपनी जगह छोड़ने के लिए खास तरह के वीजा की जरूरत होती है। विदेशियों को अंदर आने की इजाजत नहीं होती। शहर कटीले तारों से घिरा होता है। ओजर्सक को मायाक परमाणु संयंत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए गुप्त रूप से बनाया गया था। यह शीत युद्ध के दौरान अमेरिका से मुकाबला करने के लिए सोवियत अधिकारियों की ओर से बनाई गई एक गुप्त फैसिलिटी थी। कई दशकों से यह जगह लगभग नक्शे से गायब रही। इतना ही नहीं यहां रहने वाले लोगों का नाम भी सोवियत रिकॉर्ड से गायब था।

मायाक में हुई थी आपदा

इस शहर को उन श्रमिकों और नागरिकों के लिए बनाया गया था, जिन्होंने सोवियत संघ को परमाणु बम बनाने में मदद की। इस शहर में जाने वाले लोगों को फिर बाहरी दुनिया से संपर्क करने से मना कर दिया गया। कुछ लोगों को परिवार के लोगों ने गायब मान लिया था। यह शहर तब स्वर्ग माना जाता था, क्योंकि तब बाकी देश दमन से पीड़ित था। यहां किसी भी चीज की कमी नहीं थी, ताकि लोग यहां से बाहर जाने की न सोचें। हालांकि मायाक परमाणु संयंत्र एक बड़ी आपदा से गुजरा। इस घटना को सोवियत ने दबा दिया। कथित तौर पर इस घटना से ओजर्सक के आसपास के वातावरण में 200 मिलियन क्यूरी रेडियोएक्टिव सामग्री फैल गई। यह लगभग चर्नोबिल के बराबर था।

‘धरती का कब्रिस्तान’

यहां के निवासियों ने 1957 में किश्तिम आपदा का सामना किया, जो चर्नोबिल से पहले दुनिया की सबसे खराब परमाणु आपदा थी। मायाक में कूलिंग सिस्टम में धमाका हुआ जिसकी ताकत 100 टन डायनामाइट के बराबर थी। इस कारण पूरा शहर रेडिएशन से नहा गया। यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इसके कारण कितने लोग मारे गए। सोवियत अधिकारियों ने बचे हुए लोगों को यह कहकर रहने को मजबूर किया कि वह परमाणु ढाल और दुनिया के रक्षक हैं। ओजर्सक को पृथ्वी का कब्रिस्तान कहा जाता है। यहां मौत की झील है जो किसी भी अन्य जगह से ज्यादा रेडियोएक्टिव है।

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