डा ममता तिवारी ने छठवीं बार सीजीपीएससी में पाई सफलता, पिछले पांच दफे से लगातार हो रही थी सफल

अंबिकापुर : बुजुर्ग सास-ससुर की सेवा,बच्चे की देखभाल के साथ होमियोपैथी मेडिकल आफिसर की शासकीय जिम्मेदारी संभालते हुए डा ममता तिवारी ने छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 11वां रैंक हासिल किया है। इसके पहले भी उन्होंने पांच बार सीजीपीएससी क्रैक किया है लेकिन मनचाहा पद नहीं मिलने के कारण उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था और प्रयास जारी रखा।

इस बार उन्हें डीएसपी का पद आसानी से मिल सकता था लेकिन उन्होंने इसके लिए आवेदन ही नहीं किया। डा ममता तिवारी का चयन राज्य वित्त सेवा अधिकारी के पद पर हुआ है। अंबिकापुर के होमियोपैथी चिकित्सक डा धीरेंद्र तिवारी की धर्मपत्नी डा ममता तिवारी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सीजीपीएससी में लगातार छठवीं बार सफलता हासिल की है।

सतत परिश्रम और लगन को सफलता का मूलमंत्र मानने वाली डा ममता तिवारी सीजीपीएससी क्रैक करने वाले दूसरे अभ्यर्थियों से थोड़ी अलग है। अलग इसलिए कि इन्होंने पहली बार 2016 में यह परीक्षा दी थी। पहली बार असफल होने के बाद निराश होने के बजाय इन्होंने दोगुने उत्साह से तैयारी जारी रखी। शुरुआती वर्षों में इन्होंने सिर्फ डिप्टी कलेक्टर का ही ऑप्शन चुना।अच्छी रैंकिंग के बाद भी चयन नहीं हुआ तब दूसरे पदों का विकल्प चुनना तय किया। इसके पहले पांच बार पीएससी क्रैक कर चुकी डा ममता तिवारी को महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी, अधीनस्थ लेखा सेवा अधिकारी जैसे पद मिले लेकिन इन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया। इस बार डीएसपी पद उन्हें आसानी से मिल सकता था लेकिन उन्होंने परिस्थितियों को देखते हुए इसका विकल्प ही नहीं भरा था।

इस बार 11 वीं रैंक के साथ राज्य वित्त सेवा अधिकारी का पद उन्हें मिला है।वर्तमान में होम्योपैथी मेडिकल आफिसर के पद पर बिल्हा ब्लॉक के हरदीकला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डा ममता तिवारी बिलासपुर के सरकंडा गीतांजलि सिटी में बुजुर्ग सास- ससुर एसवाई तिवारी( सेवानिवृत्त स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी)- वृंदा तिवारी तथा एक साल के बेटे के साथ रहती हैं।पति डा धीरेंद्र तिवारी अंबिकापुर के साथ बिलासपुर में रहकर हर कदम पर उनका साथ दे रहे हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों व शासकीय सेवा का निर्वहन करते हुए डा ममता ने समय निकालकर पीएससी की तैयारी जारी रखी। उनकी सफलता हर मायनों में खास है।

डा ममता तिवारी ने कहा कि लक्ष्य बड़ा हो और उसकी प्राप्ति के लिए यदि मनोयोग से प्रयास किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। सफलता के लिए अध्ययन में निरंतरता जरूरी है। खुद पर आत्मविश्वास भी होना चाहिए। उन्होंने सफलता का श्रेय परिवार के सभी सदस्यों को दिया है जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया। हमेशा उनका हौसला बढ़ाया।

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