सिम्स के डॉक्टरों ने किया दुर्लभ बीमारी के मरीज का सफल ऑपरेशन, 65 सालों में अब तक मिले केवल 38 मरीज

रायपुर : छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के दन्त चिकित्सा विभाग ने एक दुर्लभ बीमारी का ऑपरेशन किया है. यहां गोर्लिन गोल्त्ज़ सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति की बीमारी का डायग्नोसिस कर सफल ऑपरेशन किया गया है. यह बीमारी अत्यंत दुर्लभ है और इसका डाइग्नोसिस करना भी उतना ही कठिन है.

1.5 साल से परेशान था मरीज

कोरबा जिले के 35 वर्षीय रमेश यादव पिछले एक-डेढ़ साल से अलग अलग जगह इलाज करवाता रहा. लेकिन फिर भी उसे उचित उपचार नहीं मिला. कोई भी गोर्लिन गोल्त्ज़ सिंड्रोम का सही डाइग्नोसिस ही नहीं कर पाया था.

मरीज रमेश के दन्त चिकित्सा विभाग में आने के बाद सबसे पहले उसकी मेडिकल हिस्ट्री ली गई और उसके बाद फिजिकल एग्जामिनेशन किया गया. साथ ही कुछ एक्स-रे और बाईओप्सी की गई और इससे सम्बंधित ऑनलाइन डाटा सर्च किया गया. उसके बाद इस बिमारी को डाइग्नोस किया गया. इसमे दन्त चिकित्सा विभाग के डॉ जण्डेल सिंह ठाकुर एवं डॉ केतकी कीनीकर ने महत्वपुर्ण भूमिका निभाई.

क्या है गोर्लिन गोल्त्ज सिंड्रोम?

गोर्लिन गोल्त्ज़ सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. 1960 से लेकर अब तक 48 मरीजों में गोर्लिन गोल्त्ज सिंड्रोम बीमारी होने के लक्षण पाए गए हैं. इसमे से केवल 38 मरीज ही गोर्लिन गोल्त्ज सिंड्रोम के कन्फर्म हुए हैं, जिनका इलाज मुंबई, दिल्ली, बंगलौर जैसे शहरों में हुआ है. गोर्लिन गोल्त्ज़ सिंड्रोम को डाइग्नोस करने के लिए अपनाई जाने वाली विधि में या तो 2 मेजर एवं 1 माइनर क्राइटेरिया अथवा 1 मेजर एवं 2 माइनर क्राइटेरिया का होना बहुत ही आवश्यक है. रमेश में तीन तरह के मेजर क्राइटेरिया पाए गए थे.

ऐसे हुई सर्जरी

सिम्स के दन्त चिकित्सा विभाग द्वारा मरीज के दोनों जबड़े से मल्टीपल जॉ सिस्ट को निकाला गया और कॉरनॉय शोलयूशन से डिसइंफेक्ट किया गया. ऐसे जॉ सिस्ट के रेक्यूरेंश रेट काफी हाई होते जो कि 60 प्रतिशत तक होते हैं. ऑपरेशन के बाद मरीज एक हफ्ता भर्ती रखकर इलाज किया गया. मरीज यहाँ के इलाज से पूरी तरह संतुष्ट है. इन मरीजों को हर 6 महीने में दिखते रहना चाहिए क्योकि इनमे मेलिग्नेन्सी होने की प्रबल सम्भावना होती है.

ऑपरेशन में इन डाक्टरों की अहम भूमिका

दन्त चिकित्सा विभाग के डॉ भूपेंद्र कश्यप के निर्देशन एवं देखरेख में विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश एवं उनके टीम में शामिल डॉ.जण्डेल सिंह ठाकुर, डॉ. हेमलता राजमणि, डॉ. केतकी कीनीकर, डॉ.प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल, वार्ड-बॉय ओमकारनाथ, लैब-अटेंडेंट उमेश साहू, के साथ निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. भावना रायजादा, डॉ. मिल्टन एवं उनकी टीम तथा नर्सिंग स्टाफ शामिल रहे.

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