जन्माष्टमी पर जरूर करें इस खास स्तोत्र का पाठ, बाल गोपाल होंगे प्रसन्न, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

साल भर में एक बार आने वाले जन्माष्टमी के त्योहार की हर जगह धूम देखने को मिलती है। जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल का जन्म हुआ था। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी 7 सितंबर को यह पर्व मनाएंगे। धर्म शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में धर्म की स्थापना के लिए भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए थे। इस तिथि पर धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अगले दिन दही हांडी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 7 सितंबर को दही हांडी मनाई जाएगी।

पंडित आशीष शर्मा के अनुसार 6 सितंबर को सुबह 07 बजकर 57 मिनट के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। वहीं, दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत होगी। ऐसे में रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि 06 सितंबर को ही रहेंगे। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान कृष्ण की पूजा के साथ यदि कुछ खास उपाय कर लिए जाएं, तो बहुत लाभ मिलता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा के समय श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र का पाठ करने से बाल गोपाल प्रसन्न होते हैं। साथ ही आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !

चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !

यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !

नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !

नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !

शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः॥

वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !

तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !

गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः॥

इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः

वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !

अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः॥

मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !

वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !

कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !

संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !

शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !

सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !

जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !

युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !

कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः

नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !

पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !

एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,

अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

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