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मालदीव के राष्ट्रपति का कूटनीतिक यू-टर्न; चीन पर मुइज्जू बोले- भारत की सुरक्षा को कभी खतरे में नहीं डालेंगे

नई दिल्ली : मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं। यहां सोमवार को राष्ट्रपति भवन में प्रेसिडेंट द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका औपचारिक स्वागत किया। आज मुइज्जू के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होगी। रविवार को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। मालदीव के राष्ट्रपति अपनी पत्नी के साथ भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आए हैं। इससे पहले वे जून में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे।

मालदीव की माली हालत खराब, भारत से मदद की आस 
पिछले साल भारत और मालदीव के बीच रिश्ते उस समय तनावपूर्ण हो गए थे, जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिए थे और भारतीय सैनिकों को देशसे बाहर भेजने की मांग की गई थी। इसके बाद मालदीव के खिलाफ बायकॉट ट्रेंड चल पड़ा और टूरिज्म पर आधारिक मालदीव की इकोनॉमी पर गंभीर असर पड़ा। अब राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को फिर से मजबूत करने का संकल्प लिया है।

भारत की सुरक्षा को कभी खतरे में नहीं डालेंगे: मुइज्जू 

चीन के करीबी रहे प्रेसिडेंट मुइज्जू ने अपने भारत दौरे के दौरान साफ किया है कि मालदीव की चीन के साथ बढ़ती साझेदारी कभी भी भारत की सुरक्षा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी। उन्होंने कहा, “मालदीव कभी भी भारत की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगा। भारत हमारे लिए एक अहम भागीदार और मित्र देश है और हमारे रिश्ते परस्पर सम्मान और साझा हितों पर आधारित है।”

मुइज्जू ने आगे कहा कि भारत और मालदीव के बीच अब बेहतर समझ है और उनका यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा। मालदीव के अंदरूनी मामलों को प्राथमिकता देते हुए कुछ समझौतों की समीक्षा की जा रही है ताकि वे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हों और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान दें।

मुइज्जू ने “इंडिया आउट” कैंपेन से हासिल की थी सत्ता
गौरतलब है कि मालदीव इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है, और उसके विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 440 मिलियन डॉलर रह गए हैं, जिससे वह कर्ज चुकाने में असमर्थ हो सकता है। मुइज्जू ने अपने “इंडिया आउट” अभियान के जरिए सत्ता हासिल की थी, लेकिन हाल ही में उन्होंने यह साफ किया है कि यह परेशानी विदेशी सैनिकों की मौजूदगी से है, न कि किसी खास देश से।

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