Site icon khabriram

G20 में छत्तीसगढ़ के ढोकरा आर्ट का जलवा, दिख रही बस्तर की आदिवासी कला संस्कृति की झलक

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी शिल्पकारों की ओर से बनाई जाने वाली ढोकरा आर्ट को “छत्तीसगढ़ की शान” कहा जाता है. इस कला की मूर्तियों की मांग देश और विदेशों में बढ़ गई है, और आदिवासी शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव हो रहा है. ढोकरा आर्ट को अक्सर “बेल मेटल आर्ट” भी कहा जाता है, और यह छत्तीसगढ़ के आदिवासी संस्कृति और शिल्पकला का महत्वपूर्ण हिस्सा है. G20 समिट शिखर सम्मेलन 2023 में ढोकरा आर्ट का प्रदर्शन छत्तीसगढ़ को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और प्रतिष्ठा दिलाने में मदद करेगा.

दिल्ली में होने वाले G20 के क्राफ्ट बाजार में ढोकरा आर्ट को स्थान मिला है. राजधानी दिल्ली के भारत मंडपन में आपको ढोकरा कला की अनूठी और सुंदर झलक देखने का अवसर मिलेगा. ढोकरा आर्ट को बेल मेटल आर्ट भी कहा जाता है, और यह भारतीय शिल्पकला का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका प्रदर्शन और बिक्री G20 क्राफ्ट बाजार में इस कला को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म पर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा और इसे विश्व भर में प्रमोट करेगा.

बस्तर के पारंपरिक शिल्पकला में बेल मेटल आर्ट एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और यह कला वास्तविक रूप से देश और विदेश में लोकप्रिय हो रही है. इस कला के शिल्पकारों ने अपनी विशेषज्ञता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन किया है, और उन्होंने कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है. यह बेल मेटल आर्ट कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी प्रसारण से न केवल कला और शिल्पकारों को बल्कि बस्तर और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा मिलता है.

ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की बढ़ी मांग
बस्तर की बेल मेटल, काष्ठ कला, और ढोकरा आर्ट भारत में प्रसिद्ध हैं, खासकर ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की बढ़ी मांग है. यह मूर्तियां बड़े महानगरों में ढोकरा आर्ट के शोरूम में भी बेची जाती हैं, और वहां की आदिवासी शिल्पकारों द्वारा बनाई जाती हैं. ढोकरा आर्ट को बनाने के लिए बहुत मेहनत और करीब 15 प्रक्रियाएं जरूरी होती हैं. ढोकरा आर्ट में आदिवासी संस्कृति की महत्वपूर्ण छाप होती है, और इसमें विभिन्न देवी-देवताओं, पशुओं, और प्राकृतिक आकृतियों का चित्रण होता है. हाथी, घोड़ा, हिरण, नंदी, गाय, और मानव आकृतियां अक्सर दिखाई जाती हैं. इसके अलावा, शेर, मछली, कछुआ, मोर जैसे प्राकृतिक तत्वों की भी मूर्तियां बनाई जाती हैं.

 

Exit mobile version