ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझ को लौटा दो वो बचपन का सावन
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…
यह नज्म जाने माने शायर सुदर्शन फाकिर की है, जिसे जगजीत सिंह ने बड़ी खूबसूरती से गाया था। जब भी हम इन पंक्तियों को सुनते हैं तो दिल बचपन की यादों में खो जाता है। …क्योंकि बचपन कभी लौटकर नहीं आता। बस उसकी यादें रह जाती हैं। जी हां, बचपन… मतलब मासूमियत, शैतानियां और खूब सारी मौज-मस्ती। कितने सारे खेल हुआ करते थे ना- पिट्ठू, चेन-चेन, आंख मिचौली, कंचे आदि।
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और हां, खेल नहीं भी होते थे तो हम कुछ खेल अपने आप रच लिया करते थे। जैसे इन बच्चों ने किया है, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब देखा जा रहा है। हो सकता है कि इनकी मस्ती देखकर आपको जलन हो, और वापस बचपन में जाने का दिल करे। वैसे आज कल शहरों में बच्चे तो स्मार्टफोन में व्यस्त हैं लेकिन इस क्लिप ने बता दिया कि मस्ती करने वालों के कुछ गैंग अब भी मौज कर रहे हैं!
‘गाना और बच्चे, दोनों ने दिल जीत लिया’
इस वीडियो को इंस्टाग्राम यूजर रवि सिंह (ravi_singh_r_b) ने पोस्ट किया। उन्होंने कैप्शन में लिखा- बचपन। खबर लिखे जाने तक इस क्लिप को डेढ़ लाख लाइक्स, 1 करोड़ से ज्यादा व्यूज और हजारों कॉमेंट्स मिल चुके हैं। एक यूजर ने लिखा- बचपन याद दिला दिया… जी चाहता है अभी ऐसा करूं। वहीं दूसरे ने लिखा कि गाना और बच्चे, दोनों ने दिल जीत लिया। तीसरे ने लिखा कि कौन सा गांव है… मुझे भी आना है खेलने के लिए। इसी तरह से यूजर्स इस क्लिप को देखने के बाद इस जुगाड़ से बने झूले का आनंद लेने के लिए ललचा रहे हैं। वैसे क्या आपने बचपन में कभी ऐसा कुछ किया है? कॉमेंट में लिखकर बताइए।
ढेर सारी रस्सियों को बांध दिया पेड़ से…
इस वायरल Reel में देखा जा सकता है कि एक पेड़ के तने से बच्चों ने रस्सियां बांध रखी है और एक-एक रस्सी को पकड़कर वह झूला झूल रहे हैं। मजे की बात ये है कि नीचे से नाला जा रहा है। अगर कोई बच्चा रस्सी को छोड़ देता है तो उसके नाले में गिरने की संभावना बढ़ जाती है। इस रील के बैकग्राउंड में बॉर्डर फिल्म का ‘संदेशे आते हैं’ गीत बज रहा है, जिसने इस वीडियो की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं।