डिप्टी सीएम विजय शर्मा एट्रोसिटी एक्ट में हुए दोषमुक्त, 18 दिन जेल में गुजारे वह मुकदमा निकली फर्जी

कवर्धा : छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कई मुकदमें दर्ज कराये थे। जिन पर जिला खाद्य अधिकारी अरूण मेश्राम ने एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। गुरुवार को जिला सत्र न्यायालय में अंतरिम सुनवाई के दौरान जिला सत्र न्यायाधीश सत्यभामा अजय दुबे ने फैसला सुनाते हुए विजय शर्मा को दोषमुक्त करार दिया है।

न्यायालय में चल रहे पुराने एक्ट्रोसिटी मामले में दोष मुक्त होकर कोर्ट परिसर से बाहर निकले डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने स्थानीय पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि, आम गरीब लोगों का राशन कार्ड नही बन रहा था। आम जनता गरीब लोग जिनकी जीविका राशन दुकान से मिलने वाली खाद्यान्न सामग्री से चलती है। ऐसे लोगों के लिए एक जन प्रतिनिधि की हैसियत से किसी ऑफिस में जाना और अधिकारियों से बात करना तत्कालीन भूपेश सरकार में अपराध हो गया था। राजनीतिक प्रतिद्वंदता ना बढ़ जाये इसलिए तत्कालीन विधायक मोहम्मद अकबर इस तरह के हथकंडे अपनाते थे।

5 वर्ष कांग्रेस ने मुकदमे लगाकर लोगों को किया प्रताड़ित

उन्होंने आगे कहा कि, लोगों को अलग-अलग तरह से परेशान करना प्रताड़ित करना यही तो हुआ पिछले 5 वर्ष के कांग्रेस के कार्यकाल में। लेकिन अंत मे सच्चाई की जीत होती है। इसलिए कहा गया है कि, “सत्य मेव जयते” यह शास्त्रोक्त कथन है प्रमाणित है देर से सही पर सत्य की जीत होती है। माननीय न्यायालय ने उक्त प्रकरण में मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को आज दोष मुक्त किया है। उन्होंने आगे कहा कि, यह फर्जी तरीके से करायी गई एक FIR थी। जब  तत्कालीन खाद्य निरीक्षक द्वारा पहले पुलिस को सिर्फ सूचना दिया गया था। फिर एक माह बाद उन्ही खाद्य निरीक्षक द्वारा यह कहकर कि, जाती सूचक शब्द बोला गया है दूसरी बार शिकायत किया गया। जिसके तहत एट्रोसिटी का मामला बनाकर मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। माननीय न्यायालय ने इस सभी विषयों को देखते हुए मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को दोष मुक्त कर दिया है।

एट्रोसिटी लगाकर 18 दिन तक रखा जेल में

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने आगे कहा कि, हम सामाजिक समरसता के भाव से जीवन जीने वाले लोग हैं और सब का बराबर सम्मान और सबसे अपना पन है। हम पर राजनीतिक प्रेरणा से आधारहीन आरोप लगाए गए थे, जिसमें न्यायालय के सेसन कोर्ट और एट्रोसिटी के विशेष कोर्ट में हमे दोष मुक्त किया है।  मैं न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि, कवर्धा में हुए ध्वज विवाद के बाद हमें आरोपी बनाया गया था। लेकिन ध्वज विवाद प्रकरण में जमानत मिलने के बाद एक्ट्रोसिटी लगाकर 18 दिनों तक मुझे जेल भेजा गया। इस प्रकरण में हमें जमानत ना मीले इसके लिए हर संभव प्रयास किया गया था। कोरोना काल मे तीन वर्ष से कम सजा वालों को जमानत देने के नियम के तहत मुझे जमानत मिली थी। जिस नियम को रातों-रात खत्म करने का प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा आगे कहा कि, दर्जनों प्रकरण मुझ पर राजनीतिक कारणों से प्रेरित होकर दर्ज किए गए थे। जिनमें से एक मे मुझे माननीय न्यायालय ने दोष मुक्त किया है। न्यायालय के प्रति हम आभार व्यक्त करते है। देर से ही सही पर जीत तो सत्य की ही होती है और हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है।

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