21 साल बाद आया फैसला, दुष्कर्म के बजाय हाई कोर्ट ने सुनाई धारा 354 के तहत सजा

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित की सजा को 354 एवं 324 में परिवर्तित किया है। आरोपित को सत्र न्यायालय से साल 2003 में दुष्कर्म के आरोप में 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी। उसने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी।

कांकेर जिला अंतर्गत निवासी कक्षा छठवीं की छात्रा दिसंबर 2000 को स्कूल से लौटने के बाद गांव की अन्य सहेलियों के साथ लकड़ी लेने जंगल गई थी। उसी समय आरोपित सुरेश साहू आया और कच्ची लकड़ी क्यों तोड़ रहे हो कहा। इस पर लड़कियों ने सूखी लकड़ी लेने की बात कही और डरकर गांव की ओर भागीं। उसी समय आरोपित ने पीड़िता का हाथ पकड़ लिया एवं दांत से गाल को काटकर बलपूर्वक दुष्कर्म किया। गांव वालों को जानकारी मिलने पर वे मौके में गए तो आरोपित भाग गया। स्वजनों ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मेडिकल जांच के उपरांत आरोपी के खिलाफ आइपीसी की धारा 376 (1) एवं 324 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपित को धारा 376 में 10 वर्ष कैद एवं धारा 324 में तीन महीने की सजा सुनाई।

फैसले को हाई कोर्ट में दी थी चुनौती

निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अरोपित ने साल 2003 में हाई कोर्ट में अपील पेश की। हाई कोर्ट ने साक्ष्य एवं मेडिकल रिपोर्ट व पीड़िता सहित अन्य गवाहों के बयान का परीक्षण में पाया कि आरोपित ने दुष्कर्म का प्रयास एवं गाल को दांत से काटने के कारण धारा 324 का दोषी होना पाया। कोर्ट ने आरोपी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया।

हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी और यह दिया फैसला

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, जहां तक सजा का सवाल है तो यह साफ है कि घटना वर्ष 2000 में घटित हुई थी। यह अपील 2003 से (21 वर्षों से) लंबित है। घटना के समय आरोपित की उम्र 25 वर्ष थी। अब उसकी आयु 45 वर्ष से अधिक है। आरोपित जेल में भी रहा है। उसने स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया है। उसे जेल भेजने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह न्यायालय की राय है कि विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में आरोपित को सजा सुनाई जाती है, तो न्याय का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। धारा 354 और 324 के तहत वह अवधि पहले ही काट चुका है। इस आधार पर कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है।

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