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RAIGARH NEWS : रायगढ़ में संविधान या तालिबानी व्यवस्था….? कोई अनुमति नहीं, ब्लैक डायमंड कंपनी लगा रही विस्फोटक फैक्ट्री

रायगढ़ : रायगढ़ जिले में कोई भी आकर आसानी से किसी भी तरह का उद्योग लगा सकता है। सारा सिस्टम उसकी जीहुजूरी में लग जाता है। बेहद खतरनाक स्तर के विस्फोटक भी अब रायगढ़ में बनेंगे। पहले ही तीन कंपनियां मौजूद हैं जो नियम विरुद्ध चल रही हैं। अब एक और कंपनी ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स भी यहां कदम रखने जा रही है। रायगढ़ जिला अचानक से बारूद फैक्ट्रियों के लिए सुरक्षित जिला बन गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां सारे सरकारी विभागों को मैनेज करना आसान है। किसी भी गांव में जाकर डायरेक्ट जमीन खरीदकर बिना ग्रामसभा, बिना पेसो लाइसेंस के कारखाना लगा लो।

ऐसा ही तरीका ब्लैक डायमंड कंपनी ने भी अपनाया है। पश्चिम बंगाल की इस कंपनी ने घरघोड़ा तहसील में रोड से बहुत अंदर गांव डोकरबुड़ा को चुना है। यहां खसरा नंबर 206 रकबा 1.9430 हे., खनं 207/1 रकबा 1.5890 हे. और खनं 207/2 रकबा 0.8090 हे. को खरीद लिया है। ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव प्रालि के डायरेक्टर आलोक खेतान की ओर से प्रतीक वर्मा पिता अजय वर्मा ने रजिस्ट्री करवाई। 4.341 हे. भूमि का नामांतरण भी हो चुका है। अब कंपनी ने एसडीएम घरघोड़ा रमेश मोर के समक्ष डायवर्सन का आवेदन प्रस्तुत किया है। दिलचस्प बात यह है कि कंपनी को रायगढ़ में फैक्ट्री लगाने का लाइसेंस ही नहीं है। इस फैक्ट्री में बेहद खतरनाक किस्म के केमिकल इस्तेमाल होते हैं। उत्सर्जित अपशिष्टों से प्रदूषण भी अलग तरह का होता है। बारूद की फैक्ट्री में खतरा भह बहुत ज्यादा होता है। कई तरह की औपचारिकताओं को पूरा किए बिना ही कंपनी ने रायगढ़ में प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया है।

ग्रामीणों ने जताई आपत्ति
मिली जानकारी के मुताबिक डायवर्सन के पूर्व नोटिस जारी किया गया था जिसके बाद ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है। घरघोड़ा एसडीएम के समक्ष ब्लैक डायमंड कंपनी के विरुद्ध शिकायत भी की है। कहा जा रहा है कि ग्रामीण आपत्ति नहीं करते तो डायवर्सन हो चुका होता। पर्यावरण विभाग से भी एनओसी नहीं ली गई है। बिना एनओसी के ही प्लांट लगाने की योजना है।

जमीन पर मौजूद है घना जंगल
सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने दीपक नामक कर्मचारी को रायगढ़ में नियुक्त किया है। ब्लैक डायमंड कंपनी का मुख्यालय पश्चिम बर्धमान जिले में है तो पश्चिम बंगाल में है। इसके डायरेक्टर आलोक अग्रवाल, मनोज अग्रवाल और आलोक खेतान हैं। प्रतीक वर्मा के नाम से रजिस्ट्री कराई गई है। जिस जमीन को खरीदा गया है, वहां घना जंगल है।

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