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छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनावों से दो महीने पहले कांग्रेस करेगी उम्मीदवारों का ऐलान, ये है सियासी प्लान

रायपुर/नईदिल्ली। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. राजनीतिक दल इस बाबत उठा-पटक में जुटे हुए हैं और रणनीतियां बनाई जा रही हैं. कर्नाटक चुनाव की जीत के फॉर्मूल के आधार पर कांग्रेस इस साल होने वाले चुनावी राज्यों में रणनीति तैयार कर रही है. इन्हीं में से एक है कि समय से पहले उम्मीदवारों के टिकट वितरण का दांव. 2023 में होने वाले चुनावी राज्यों में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर कांग्रेस ने जल्द ही अपने ‘सिपहसलारों’ को चुनावी रण में उतारने के संकेत दे दिए हैं?

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए टीम गठित कर दी है. मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्रीय नेताओं को स्क्रीनिंग कमेटी का जिम्मा सौंपा है, तो साथ ही स्थानीय नेताओं को भी शामिल किया है. इतना ही नहीं चुनावी राज्यों से भी पार्टी नेताओं ने जल्द से जल्द उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने की डिमांड हाई कमान के सामने रखी है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो कई मौकों पर साफ-साफ कह चुके हैं कि चुनाव से दो महीने पहले उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी जाती है तो सत्ता में वापसी कन्फर्म है.

कर्नाटक में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व ही उम्मीदवारों का चयन कर लिया था और आधी से ज्यादा सीटों पर टिकटों की लिस्ट जारी कर दी थी जबकि बाकी सीटों पर तारीख घोषित किए जाने के बाद ऐलान किया गया था. कर्नाटक की तर्ज पर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस टिकट वितरण का फॉर्मूला तय करने में जुटी है. हाल ही में गठित कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर जनरपट को बताया कि पार्टी ने सितंबर तक अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने का लक्ष्य तय किया है. इसी के तहत टिकट वितरण की प्रक्रिया को अपनाया जाएगा.

बता दें कि कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की ही जिम्मेदारी होती है कि हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट बनाकर पार्टी को दे, जिसमें से एक उम्मीदवार का नाम फाइनल किया जाता है. राजस्थान के लिए बनी इस कमेटी में गहलोत और डोटासरा दोनों ही हैं और ऐसे में उनके ये बयान अगले महीने कांग्रेस की पहली लिस्ट सामने आने की संभावनाओं को और भी मजबूती देते हैं. इसी तरह से मध्य प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को भी शामिल किया गया है तो छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव हैं.

कांग्रेस में कैसे तय होता है टिकट?

कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ही उम्मीदवारों के टिकट का भविष्य तय करती है. जिला-ब्लॉक संगठन के द्वारा उम्मीदवारों के टिकट की सिफारिश की जाती है, उस पर प्रदेश संगठन की राय ली जाती है. साथ ही पार्टी की तरफ से कराए गए सर्वे, प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारियों की रिपोर्ट का भी संज्ञान लेते हुए स्क्रीनिंग कमेटी एक सीट पर दो-दो उम्मीदवारों के नाम को फाइनल करके केंद्रीय चुनाव समिति को भेजती है. इस तरह केंद्रीय समिति की बैठक में विचार-विमर्श के बाद एक नाम पर फाइनल मुहर लग जाती है और फिर लिस्ट जारी कर दी जाती है.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इसी सप्ताह स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी और उसके बाद से काम शुरू होगा. माना जा रहा है कि सितंबर में कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है. पहली लिस्ट में उन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी, जहां पर कांग्रेस की सबसे ज्यादा जीतने की संभावना है. तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने अपनी मजबूत सीटों का पहले ही चयन कर रखा है और इन्हीं सीटों पर टिकट पहले घोषित किए जाएंगे.

सीएम गहलोत कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव जीतना है तो हमें समय से पहले उम्मीदवार के नाम की घोषणा करनी होगी. उन्होंने कहा था कि टिकट के लिए उम्मीदवार और कार्यकर्ता दिल्ली की सड़कों पर चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं. इसके बाद जब उन्हें टिकट मिलता है तो थका हुआ नेता-कार्यकर्ता क्या ही काम करेगा. गहलोत दिल्ली में लंबी बैठकों की प्रक्रिया को भी खत्म करने की वकालत सार्वजनिक मंचों से कर चुके हैं. उनका कहना था कि उम्मीदवारों को दो महीने पहले टिकट मिल जाएगा तो वो तभी से काम में लग जाएंगे. ऐसे में कांग्रेस को जल्द टिकट फाइनल कर उम्मीदवारों को इशारा कर देना चाहिए.

गहलोत के बाद राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जल्द से जल्द टिकट वितरण की डिमांड रखी थी. बताया जा रहा है कि उन्होंने शीर्ष नेतृत्व तक ये बात पहुंचा दी है और तर्क दिया है कि समय से पहले टिकट घोषित हो जाने से उम्मीदवारों को अपने प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. टिकट वितरण से पार्टी में किसी तरह की नाराजगी उभरती है तो समय रहते हुए उस डैमेज को कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही यानी अगले महीने सितंबर में ही कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है.

पहली लिस्ट में होंगे कितने उम्मीदवार?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी स्क्रीनिंग कमेटी के गठन के बाद बोल चुके हैं कि पार्टी को आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जल्द से जल्द जारी करनी चाहिए. इससे उन्हें जमीन पर तैयारी के लिए ज्यादा समय मिलेगा. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में कम से कम 20-25 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट सितंबर महीने में ही आ सकती है, जबकि राजस्थान में कांग्रेस पहली लिस्ट में 100 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सकती है.

उम्मीदवारों की लिस्ट को लेकर मध्य प्रदेश से भले ही कोई आवाज सुनाई न दी हो, लेकिन राज्य में कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने कई नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर ये बता दिया है कि उनका टिकट फाइनल है और वो अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय रहें. ऐसे में इन उम्मीदवारों के नाम का औपचारिक ऐलान भी पार्टी जल्द कर सकती है. माना जा रहा है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में तकरीबन 80 विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों के नाम को तय कर रखा है, जिसे स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक में रखा जा सकता है.

मध्य प्रदेश के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल एक सदस्य ने जनरपट को बताया इस बार पार्टी विचार कर रही है कि आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जल्द से जल्द जारी की जाएगी. इसी सप्ताह स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होनी है. कमेटी के अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह हैं तो सदस्य अजय कुमार लल्लू और सप्तगिरी उल्का हैं. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी एक सुर में सुर मिलाते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में टिकट वितरण में किसी तरह की कोई टकराव वाली स्थिति बनती हुई नजर नहीं आ रही है, लेकिन बीजेपी और दूसरे दलों से आ रहे नेताओं के चलते पार्टी के नेताओं में जरूर असमंजस्य की स्थिति है.

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