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छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्रियों को लोकसभा चुनाव उताने की तैयारी में कांग्रेस, 150 निलंबित नेता होंगे बहाल

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रायपुर : लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्‍तीसगढ़ के कद्दावर नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मंत्रियों में टीएस सिंहदेव, अमरजीत भगत, रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, डा. शिव डहरिया को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारने की सुगबुगाहट तेज है।

इसके साथ ही पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए गुटबाजी और अंतर्कलह खत्म करने के साथ ही 150 निलंबित नेताओं को बहाल करने की तैयारी की है। इनमें रामानुजगंज के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह, पूर्व विधायक विनय जायसवाल, बिलासपुर के महापौर रामशरण यादव समेत अन्य नेता शामिल हैं। पार्टी इनका निलंबन जल्द ही बहाल कर सकती है ताकि लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह का नुकसान न हो।

बतादें कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छत्तीसगढ़ में खुद को मजबूत मानकर चल रही थी मगर चुनाव के परिणाम आने के बाद पार्टी में अब नए सिरे आत्म मंथन शुरू हो चुका है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हारने की मुख्य वजह भी गुटबाजी व अंतर्कलह को मान रही है। पार्टी के कुछ विधायकों ने तत्कालीन प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा से लेकर उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव पर गंभीर आरोप लगाते हुए हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

भूपेश राजनांदगांव, सिंहदेव लड़ेंगे बिलासपुर से!

पार्टी सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कांग्रेस राजनांदगांव से उतार सकती है। उनके नाम का प्रस्ताव पहले ही कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर रख चुके हैं। इस पर पार्टी विचार कर रही है। इसी तरह पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को पार्टी बिलासपुर से उतार सकती है। यहां उनके नाम पर विचार चल रहा है। इसके अलावा रायपुर में पूर्व संसदीय सचिव व विधायक विकास उपाध्याय, दुर्ग के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, जांजगीर-चांपा से पूर्व मंत्री डा. शिव डहरिया चुनाव लड़ सकते हैं।

इसी तरह कोरबा लोकसभा सीट में वर्तमान की लोकसभा सदस्य व कांग्रेस नेत्री ज्योत्सना महंत को दोबारा टिकट देने की तैयारी है। इसके अलावा पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, रविंद्र चौबे को भी पार्टी चुनावी मैदान में उतार सकती है। बतादें कि प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों में से पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी। नौ सीटें भाजपा के खाते में गईं थी।

गुटबाजी से नुकसान, दो नेता भाजपा में हो चुके हैं शामिल

कांग्रेस को गुटबाजी के कारण लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। कांग्रेस के पूर्व विधायक मंतूराम पवार फिर भाजपा में शामिल हो गए है। इसके पहले 2014 में अंतागढ़ में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे मंतूराम ने अपना नामांकन वापस लेकर उपचुनाव में भाजपा को वाकओवर दे दिया था। इस घटना के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर किया था। इसी तरह विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज ने भी कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा प्रवेश कर लिया था। भाजपा ने उन्हें सरगुजा से टिकट दी है।

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