CJI DY Chandrachud 11 Historical Decisions: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस (chief Justice) डीवाई चंद्रचूड़ का आज (8 नवंबर 2024 ) लास्ट वर्किंग डे है। सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। हालांकि 9 और 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी होने के कारण उनका 8 नवंबर को ही अंतिम कार्यदिवस है। अपने कार्यदिवस के आखिरी दिन सीजेआई चंद्रचूड़ ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसख्यंक दर्जे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बदलते हुए यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को फिलहाल बरकरार रखा है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल को ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाएगा। उन्होंने कई अहम फैसले दिए या कई मामलों में वह बेंच का हिस्सा रहे। ऐतिहासिक फैसलों में अयोध्य़ा में राम मंदिर निर्माण से लेकर आर्टिकल 370 और समलैंगिक विवाह समेत कई अहम फैसले है। ये ऐतिहासिक फैसले ही इन्हें अन्य चीफ जस्टिस से कुछ खास बनाती है।
1) राम मंदिर पर फैसले वाली बेंच में थे चंद्रचूड़
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त करने वाला फैसला 2019 में आया था। इस अहम फैसले को 5 जजों की बेंच ने सुनाया था, जिसमें डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। वह उस दौरान चीफ जस्टिस नहीं थे किंतु एकमत से फैसला देने वाली बेंच का हिस्सा थे। यह फैसला इतना महत्वपूर्ण था कि देश के 500 सालों के इतिहास को बदलने वाला रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण उसके बाद ही शुरू हुआ, जहां इसी साल 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी।
2) आर्टिकल 370 पर सुनाया अहम फैसला
इसी तरह अनुच्छेद 370 हटाने के लिए खिलाफ दायर याचिकाओं पर भी चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने लंबी सुनवाई की थी। अदालत ने आर्टिकल 370 हटाने को संविधान के तहत ही माना था। इस केस में चीफ जस्टिस ने कहा था कि जजों ने संविधान और कानून के दायरे में रहकर ही फैसला लिया है।
3) समलैंगिक विवाह को कहा.. नो
भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की मांग पर भी चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनवाई की। हालांकि, उन्होंने इसे मंजूरी देने से यह कहते हुए इन्कार किया कि ऐसे फैसले संसद पर छोड़ देने चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलावों के लिए भविष्य में विधायी कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है।
4) एक झटके में समाप्त किया इलेक्टोरल बॉन्ड
भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए की थी। इस व्यवस्था के माध्यम से भाजपा, कांग्रेस समेत सभी दलों ने करोड़ों रुपये हासिल किए थे। लेकिन चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इसे खारिज कर दिया था। बेंच का कहना था कि यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं है।
5) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रखा बरकरार
अपने अंतिम कार्यदिवस के दिन दिए ऐतिहासिक फैसले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखने का फैसला सुनाया। जेआई डीवाई ने कहा कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है। संविधान के आर्टिकल 30 के तहत इसे धार्मिक समुदाय को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उसे चलाने का अधिकार है। सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया। इसके बाद सीजेआई ने AMU के स्टेटस पर फैसला करने का अधिकार 3 जजों की बेंच के दे दिया।
6) सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की कराई एंट्री
केरल के प्रतिष्ठित सबरीमाला मंदिर में रजस्वला स्त्रियों के प्रवेश पर रोक के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने फैसला दिया था, उसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे। चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए अपनी राय दी थी कि यह ऐसा करना असंवैधानिक है। संविधान के कई अनुच्छेद इसे वर्जित करते हैं और इस तरह की प्रैक्टिस जारी रखना गलत है।
7) कॉलेजियम प्रणाली पर सरकार के साथ लिया पंगा
चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाम कॉलेजियम बहस में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की पारदर्शिता का बचाव किया, सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिशों के लिए न्यायाधीशों के करियर का मूल्यांकन करते समय इसके खुलेपन को बनाए रखने के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि हमने ऐसे कदम उठाए हैं कि कॉलेजियम का सिस्टम पारदर्शी रहे। उनका कहना था कि हम किसी जज को सुप्रीम कोर्ट में लाने की सिफारिश करते हुए यह देखते हैं कि हाई कोर्ट में उसका करियर कैसा था।
8) निजता का अधिकार है धर्म बदलना
केरल के मशहूर हादिया मैरिज केस में फैसला सुनाने वाली बेंच का भी डीवाई चंद्रचूड़ हिस्सा थे। बेंच का कहना था कि यदि कोई युवती बालिग है तो यह उसका अधिकार है कि वह किससे विवाह कहे। इसके अलावा यदि उसने अपना धर्म मर्जी से बदल लिया है तो उस पर भी कोई आपत्ति नहीं कर सकता। अदालत ने धर्म बदलने को निजता का अधिकार करार दिया था।
9) कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर क्या बोला था SC
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को लेकर भी फैसला सुनाया था। बेंच का कहना था कि ऐसा होना महिलाओं के मौलिक अधिकार का हनन है। अदालत ने कहा था कि इससे महिलाएं कैसे कामकाज के लिए प्रोत्साहित हो सकेंगी।
10) दिल्ली सरकार बनाम केंद्र में क्या बोला SC
दिल्ली सरकार के प्रशासन और अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर विवाद एवं अंतिम निर्णय किसका मान्य होगा। इसे लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई थी। इस पर अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही फैसले का अधिकार है, जो उसके दायरे में आते हैं।
11) अर्णब गोस्वामी को दी थी बेल
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर भी बड़ा फैसला सुनाया था। अदालत ने उन्हें बेल दी थी और कहा था कि यह अधिकार है। इसके साथ ही बेंच का कहना था कि निजी अदालतों को ही इस संबंध में फैसला लेना चाहिए। उन्हें बेल की अर्जियों पर समय रहते ही फैसला करना चाहिए।