लद्दाख के डेमचोक-देपसांग से पीछे हटेगी चीनी सेना, जानें कैसे हुआ समझौता

India-China Border Agreement: पूर्वी लद्दाख में लगभग चार साल से चला आ रहा तनाव अब हल होता दिख रहा है। भारत ने अपनी रणनीति और मजबूत नीतियों से चीन को झुका दिया है। लंबी बातचीत और डिप्लाेमैटिक चर्चाओं के बाद, भारतीय सेना को देपसांग,डेमचोक और फिंगर पॉइंट में दोबारा गश्त शुरू करने का अधिकार मिल गया है। यह न केवल भारत के लिए सैन्य मोर्चे पर बड़ी जीत है बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

चार साल और 17 से ज्यादा बैठकों के बाद मिली सफलता:

चार साल और 17 से ज्यादा बैठकों के बाद, भारत ने चीन को देपसांग, डेमचोक और फिंगर पॉइंट जैसे  विवादित क्षेत्रों से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। इन इलाकों में भारत की सेना को 2020 में गश्त करने से रोक दिया गया था। चीनी ने यहां अपने सैनिकों की तैनाती कर दी थी। अब, भारतीय सेना को यहां अपनी गश्त फिर से शुरू करने का अधिकार मिल गया है।

चीन को भी मिली कई इलाको में गश्त की मंजूरी:

इस समझौते से न केवल भारत को बल्कि चीन को भी कुछ फायदा हुआ है। भारत ने देपसांग और डेमचोक में अपनी गश्त शुरू की है, जबकि चीन को भी कुछ दूसरे इलाकों में गश्त की इजाजत दी गई है। भारतीय सेना ने 2020 में चीन के सैनिकों को इन इलाकों में आने से रोक दिया था। गश्त समझौते से संकेत मिलता है कि 3,488 किलोमीटर लंबे LAC पर टकराव वाले बिंदुओं पर भारतीय सेना और पीएलए के पीछे हटने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। अगला कदम अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों को उनके बैरकों में वापस भेजके तनाव कम करने और स्थिति को सामान्य बनाना है।

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