बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रेलवे के अफसरों से दोटूक कहा है कि रेलवे लाइन पर कोई भी न जाए। यह देखने और सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी रेलवे की है। कोर्ट ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई है कि एफओबी का निर्माण अटका हुआ है। कोर्ट ने कहा कि 25 मीटर का निर्माण कार्य पांच साल में पूरा नहीं हो पाया है। रेलवे ने 31 मार्च 2024 तक निर्माण कार्य पूरा होने की जानकारी दी है।
इस संबंध में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीनियर डिवीजनल इंजीनियर का शपथ के साथ उत्तर भी पेश किया है। वहीं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से अधिवक्ता ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के समक्ष जानकारी पेश करते हुए बताया है कि लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए अंडरब्रिज का निर्माण किया है। पटरी के दोनों पार अब आरपीएफ के जवानों की ड्यूटी लगाई जाएगी। अंडरब्रिज के बजाय पटरी पार करने वालों को सख्ती से रोका जाएगा और अंडरब्रिज से ही आने-जाने की सलाह दी जाएगी।
आरओबी का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने की जानकारी भी रेलवे ने दी है। पटरी पार कर स्कूल जाने वाले स्कूली बच्चों के अलावा मोहल्लेवासियों द्वारा इसी तरह आवागमन करने को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। बीत सुनवाई के दौरान ने हाई कोर्ट ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि जीआरपी और आरपीएफ के रहते स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पटरी पार कर स्कूल जाते हैं और छुट्टी के समय भी इसी मार्ग से घर लौटते हैं।
सुरक्षा के इंतजाम को लेकर कोर्ट ने जरूरी निर्देश भी जारी किया था। तब कोर्ट ने शासन के विधि अधिकारियों व रेलवे के अधिवक्ता से पूछा कि यह सब क्या है। रेलवे जैसे बेहद संवेदनशील विभाग में कोई व्यवस्था सुचारू रूप से काम करता भी है या नहीं। इलेक्ट्रिक इंजन को पार कर और उसके सामने से स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं। डिवीजन बेंच ने पूछा कि लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए रेलवे ने व्यवस्था की है या नहीं। फुट ओवर ब्रिज के संबंध में कोर्ट ने पूछा व विस्तृत रिपोर्ट पेश करने रेलवे को निर्देश जारी किया है।
चार साल से बंद है एफओबी का निर्माण लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए बनाया गया फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) सालों पहले टूट चुका है। रेलवे ने नया एफओबी बनाने का काम शुरू तो किया था, लेकिन चार साल बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया। जिस जगह से बच्चे पटरी पार करते है वहां पर यदि मालगाड़ी ज्यादा देर खड़ी रहती है तो उसके केबिन में चढ़कर पटरियों को पार करना बच्चों की मजबूरी हो जाती है। इसके अलावा सैकड़ों अन्य लोग भी रोजाना पटरियों को पार करते हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा
मानव जीवन को किसी भी स्थिति में नुकसान न पहुंचे, यह जिम्मेदारी रेलवे की होगी।
जहां से बच्चे व आम नागरिक आना-जाना कर रहे हैं वहां पर्याप्त सुरक्षा का इंतजाम करना होगा।
दुर्घटना की स्थिति में क्लेम के लिए स्वजन को कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटना पड़ता है। ऐसी स्थिति न बने।
ट्रेन लगातार रद हो रही है, तब ब्लाक लेकर एफओबी का निर्माण क्यों नहीं किया जा सकता। इसे गंभीरता से करें।
रेलवे ने दी जानकारी
जिस जगह से स्कूली बच्चे व आम आदमी आ जा रहे हैं वहां पक्का ब्लाक कर दिया है। एक चार का गार्ड भी तैनात कर दिया है।
स्कूल की छुट्टी के समय ब्लाक रखा जाएगा।
बच्चे स्कूल के बीच में क्लास छोड़कर आते हैं।
एफओबी का निर्माण 31 मार्च 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए 25 घंटे का ब्लाक लेना होगा, जो किश्त में लेकर किया जाएगा। एक बार मे अधिकतम पांच घंटे का ब्लाक मिलेगा।