प्रत्येक माह दो चतुर्थी आती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। नारद पुराण के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का बहुत महत्व होता है। इस बार सकट चौथ व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। सकट चौथ को तिल चौथ और माघी चतुर्थी भी कहा जाता है। सकट चौथ के दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि सकट चौथ की पूजा के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करें।
सकट चौथ का शुभ मुहूर्त
दैनिक पंचांग के अनुसार, माघ मास की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार सकट चौथ व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। सकट चौथ दिन चंद्रोदय रात 9.10 मिनट पर होगा।
सकट चौथ के मंत्र
- ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
- ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
- महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
- ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।
- ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
- ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
- गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
- संकट नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
- ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।