Chhattisgarh Vidhansbha Chunav 2023: बड़ी लंबी मांग और कई आंदोलनों के बाद राजनांगांव से अलग कर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (Khairagarh Chhuikhan Gandai) को नया जिला बनाया गया. इसमें मात्र एक विधानसभा सीट खैरागढ़ आती है. जिसे 2018 विधानसभा चुनावों में जोगी कांग्रेस से देवव्रत सिंह ने बीजेपी की कोमल जंघेल के खिलाफ जीत लिया. लेकिन, देवव्रत सिंह ने पलटी मारी और इलाके को एक उपचुनाव का सामना करना पड़ा. इसमें कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने एक बार फिर बीजेपी की कोमल जांघेल को हरा दिया. अब देखना होगा की 2023 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) में जनता किसे मौका देती है.
वर्तमान स्थिति (2018)
खैरागढ़ की अनरिजर्व सीट से 2018 का चुनाव जोगी कांग्रेस से देवव्रत सिंह ने जीता. उनके खिलाफ कोमल जंघेल में हार गई. हालांकि, साल 2022 में एक बार फिर देवव्रत सिंह के दलबदल के कारण उपचुनाव हुए और इसमें कांग्रेस की यसोदा वर्मा ने बीजेपी की कोमल जंघेल को हरा दिया.
वोटों के आंकड़े
खैरागढ़ में कुल 201767 मतदाता हैं. यहां महिलाएं 100642 और 101117 पुरुष वोटर हैं.
2018 में वोट शेयर
विधानसभा चुनाव 2018 में खैरागढ़ से बीजेपी 60646 को और JCCJ को 61516 और अन्य के खाते में 48459 वोट गए.
2018 के आंकड़े
विधानसभा चुनाव 2018 में खैरागढ़ की गणित बदल गई. जोगी कांग्रेस की बनने के बाद यहां से कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंच गई और बीजेपी दूसरे नंबर पर आ गई. हालांकि, कुछ समय बाद यहां दलबदल हुआ और JCCJ की टिकट पर चुनाव जीते देवव्रत सिंह ने पार्टी बदल दी और खैरागढ़ उपचुनाव के मुहाने पर चला गया. जब वोट पड़े तो JCCJ गायब हो गई और यहां से कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने कोमल जंघेल को हरा दिया.
2013 के आंकड़े
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर BJP को निराशा हाथ लगी. इस बार कोमल जंघेल कांग्रेस के गिरवर जंघेल से हार गईं. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी ने 2190 वोटो से परास्त कर दिया. हालांकि, इसके बाद भी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं बदली.
2008 के आंकड़े
खैरागढ़ में 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदला और कोमल जंघेल को मैदान में उतारा. उन्होंने पार्टी को निराश नहीं किया और कांग्रेस के मोतीलाल जंघेल को 19544 यानी करीब 15 फीसदी वाटों से हरा दिया.
2003 के आंकड़े
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद खैरागढ़ का पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर अजीत जोगी समर्थक देवव्रत सिंह ने जीता. इनके खिलाफ भाजपा के सिद्धार्थ सिंह लड़ रहे थे. लेकिन, वो बीजेपी की नइया पार नहीं लगा पाए.
साल भर पहले ही उपचुनाव का सामना कर चुके खैरागढ़ में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होंगे. इसमें कांग्रेस को राह आसान लग रही है कि सरकार ने अपना वादा पूरी किया. वही दलबदल के कारण हाथ से निकली सीट को JCCJ एक बार फिर अपने कब्जे में लेना चाहिए. इस बीच बीजेपी यहां 2008 के चुनाव परिणामों को रिपीट करने की कोशिश करेगी.