CG : राजधानी में मौत बनकर दौड़ रही है स्टाफ बसें, जायसवाल निको फिर RTO को झांसा देने में रहा सफल, CISF लिखी फर्जी स्टाफ बसें लगाई!

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों तक कर्मचारियों को ढोने वाली कई बसे भी अनफिट बताई जा रही हैं। हाल ही में केडिया डिस्टलरी में बस हादसे के बाद परिवहन आयुक्त के आदेश पर खानापूर्ति की कार्यवाही राजनांदगांव और बिलासपुर में की गई है। राजधानी रायपुर में कोई कार्यवाही करने से आरटीओ और परिवहन विभाग के भी हाथ कांपते दिखे। बताया जा रहा है कि जायसवाल निको, निर्वाणा स्टील लिमिटेड, मोनेट की स्टाफ बस आज भी परिवहन विभाग की आंखों में धुल झोंकने में कामयाब रही। फर्जीवाड़ा करके CISF लिखी बस में स्टाफ को बिठाकर परिवहन किया गया है।

चौंकाने वाली बात यह कि जायसवाल निको में कालातीत और आरटीओ टैक्स घोटाला करने वाली स्टाफ बसों की खबरें प्रकाशित होने के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने कार्रवाई की औपचारिकता दिखाते हुए राजनांदगांव और बिलासपुर में ही आकस्मिक जांच किया और रायपुर के उद्योग समूहों को एक तरह से क्लीन चिट दे दिया गया। जनरपट की पड़ताल में विभागीय कार्रवाई की औपचारिकता सामने आ गई और आज भी ये गाड़िया रायपुर में कंपनियों के स्टाफ को लाती ले जाती दिखीं। जिसपर कभी भी गंभीर हादसा की सम्भावना दिखती हैं।

बता दें कि जायसवाल निको इंडस्ट्रीज़ ने स्टाफ बस अनियमितता की खबर के खुलासे के बाद भी फर्जीवाड़ा करते हुए स्कूल बसों और यात्री बस को हटाकर सीआईएसएफ लिखी हुई बसों का नंबर, CG07CL0167, CG07CL0168, CG07CL0166 है जिसपर स्टाफ को लाने ले जाने का काम करवाया गया।

जानकार बता रहे हैं कि इन बसों का परिवहन परमिट भी नही है इस दौरान आरटीओ ने कोई चेकिंग नही की है। आरटीओ से मिलीभगत करके स्कूल बसों को बदल कर दूसरी बस का उपयोग किया गया है लेकिन जिन बसों को भी चलाया जा रहा है। बिना स्टाफ परमिट के वो बसे भी नही चल सकती। इस तरह कंपनियां आरटीओ के आँखों में धूल झोक रही है। सूत्रों की माने तो ये जो बस जिसमे सीआईएसएफ लिखा हुआ है वो बीएसपी भिलाई में चलने वाली बस है।

दूसरी बात ये है कि निको प्लांट में ये सीआईएसएफ लिखी हुए बस इसलिए चल रहा है ताकि कोई भी आरटीओ स्टाफ इस बस को रोके नहीं। इनके झांसे में परिवहन विभाग ने आकर रायपुर में कोई कार्रवाई नहीं किया। चेकिंग करने वाले CISF लिखी बस को सरकारी समझकर रोके भी नहीं।

यह एक प्रकार की धोखाधड़ी है। और तो और रिलायंस ट्रेवल्स वाला दो बस ऐसी चला रहा है जो दुर्ग से रायपुर परमिट की बस है। जिसमे सुमीत लिखा हुआ है। ये बस दुर्ग से रायपुर सवारी लाने ले जाने का परमिट है ना कि निको फैक्ट्री के स्टाफ को दुर्ग से सिलतरा तक लाने का है। बहरहाल अब देखना है की मौत बनकर दौड़ती इन बसों पर और औद्योगिक संस्थानों की लापरवाही पर प्रशासन की नींद कब टूटती हैं या फिर कुम्हारी की ही तरह किसी हादसे का इंतज़ार हैं।

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