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CG : मानव तस्करों पर पुलिस की कार्रवाई, 4 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया, ले जा रहे थे बनारस

उदयपुर : छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में मानव तस्करी का गंदा धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सरगुजा जिले के उदयपुर पुलिस ने चार नाबालिग लड़कियों को मानव तस्कर के चुंगल से छुड़ाया है. पुलिस ने मानव तस्करी में लिप्त होने की आशंका में एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ करना शुरू कर दिया है.

तस्कर नाबालिग लड़कियों को बनारस ले जाने की फिराक में था, तभी पुलिस ने मुखबिर की सुचना में आरोपी को नाबालिग लड़कियों के साथ धर दबोचा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि सरगुजा जिले में पिछले 5 साल के भीतर गायब हुई करीब साढे 300 से अधिक लड़कियों और महिलाओं के बारे में पुलिस को अब तक सुराग तक नहीं लगा है.

4 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया, ले जा रहे थे बनारस

सरगुजा जिले के उदयपुर थाना इलाके के सानीबर्रा गांव की चार नाबालिग लड़कियों और दो नाबालिक लड़कों को मानव तस्कर के द्वारा ले जाए जाने की तैयारी थी उन्हें उनके घर से परिजनों की जानकारी के बिना एक ऑटो में बैठकर गांव से उदयपुर लाया जा रहा था और उदयपुर से बस के माध्यम से उन्हें बनारस ले जाया जाता लेकिन इससे पहले ही उदयपुर पुलिस को मुखबिर से मानव तस्करी की जानकारी मिली और पुलिस अलर्ट हुई इसके बाद उदयपुर पहुंचने से पहले ही ऑटो में बैठी नाबालिक लड़कियों और संदीप युवक से पुलिस ने पूछताछ करना शुरू कर दिया |

नाबालिक लड़कियों के द्वारा बताया गया कि उन्हें काम दिलाने का झांसा देकर ले जाया जा रहा था वहीं परिवार वालों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी सबसे बड़ी बात तो यह है की नाबालिक लड़कियां विशेष पिछड़ी जनजाति से तालुकात रखती है और बड़े स्तर पर सरगुजा में आदिवासी लड़कियों का इसी तरीके से तस्करी किया जा रहा है. वहीं पकड़े गए आरोपी ने पुलिस को बताया है कि वह नाबालिक लड़कियों को ईट भटठे में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश लेकर जा रहा था.

मानव तस्करी पर लगातार कार्रवाई जारी – एएसपी

सरगुजा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह का कहना है कि मानव तस्करी के खिलाफ पुलिस के द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की टीम पहुंचकर लोगों को इसके खिलाफ जागरूक भी कर रही है कि झांसे में आकर नाबालिक बच्चों को बाहर न भेजें, इसके लिए पुलिस स्कूलों में पहुंच कर भी बच्चों को जागरुक कर रही है लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि आदिवासी इलाकों में बच्चे अभी पूरी पढ़ाई नहीं कर रहे हैं और स्कूल छोड़ दे रहे हैं इसके बाद वे दलालों के झांसे में आकर महानगरों में जाकर बिक रहे हैं.

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