CG नगरीय निकाय चुनाव : किसी ने पार्टी को सबक सिखाने पर्चा भरा, कोई लड़ना ही है, इसलिए लड़ रहा

रायपुर। रायपुर नगर निगम में मेयर पद के लिए भाजपा-कांग्रेस समेत  28 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा है। बड़ी संख्या में निर्दलीय सामने आए हैं। इनमें कई चुनाव को लेकर गंभीर हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो लड़ना है, इसलिए मैदान में उतर गए की तर्ज पर आजमाइश कर रहे हैं। एक महिला प्रत्याशी का तो कहना है कि उनके पति को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, इसलिए वह सबक सिखाने के लिए खुद  मैदान में उतरी है, ताकि वह बता सके कि उनका भी जनाधार है। ऐसे उम्मीद्वार सिर्फ रायपुर में ही नहीं, कई निगमों में हैं। निर्दलीयों तक पहुंची हरिभूमि टीम ने उनसे बात की, उनकी मंशा समझी।

विस, लोस के बाद अब मेयर पार्षद का लड़ रही चुनाव 

महापौर पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों में एक ऐसी प्रत्याशी भी है, जिसकी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त हो चुकी है। इस प्रत्याशी का नाम राधेश्वरी गायकवाड़ है जो नहरपारा विधानसभा रोड की रहने वाली है। बीएससी की पढ़ाई कर चुकी राधेश्वरी वैसे समाज सेविका है। राजनीति में आकर वह अब कुछ बड़ा काम करना चाहती है, इसलिए वह पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव लड़ी। इन दोनों चुनाव में 150 से कम ही वोट मिले हैं, जिससे कारण वह जमानत तक नहीं बचा पाई है। अब वह महापौर और वार्ड-10 से पार्षद दोनों पद के लिए एक साथ चुनाव लड़ रही है।

ऑटो चालक की पत्नी भी मैदान में 

महापौर पद के लिए बैरनबाजार निवासी एक ऑटो चालक की पत्नी नंदनी नायक भी चुनाव में खड़ी हुई है। नंदनी का यह पहला चुनाव नहीं है। इससे पहले वह विधानसभा 2023 और लोकसभा 2024 चुनाव भी लड़ चुकी है। इन दोनों चुनाव में उसे बहुत कम वोट मिले थे। इस तरह दोनों चुनाव में उसकी जमानत राशि जब्त हो गई थी। इसके बाद भी नंदनी अब महापौर पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है।

चुनाव जीतने के बाद काम परफेक्ट दिखना चाहिए 

ग्राम कांदूल निवासी चांदनी साहू महापौर पद की प्रत्याशी है। उन्होंने जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी से नामांकन दाखिल किया है। फार्मेसी में डी-फार्मा करने वाली चांदनी साहू ने बताया कि वह पहली बार कोई चुनाव लड़ रही है। चांदनी का मानना है कि महापौर का पद पाने के लिए प्रत्याशी जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन उन वादों को पूरा नहीं किया जाता है या फिर अधूरे छोड़कर आगामी चुनाव आने के दौरान किया जाता है, जबकि जीत के बाद से हर काम दिखना चाहिए और वह भी परफेक्ट तरीके से। भाजपा-कांग्रेस के कई महापौर बदल चुके हैं, लेकिन शहर अभी भी मूलभूत सड़क, पानी, सफाई जैसी सुविधाओं से जुझ रहा है। उनका कहना है कि अगर वह चुनाव जीत जाती है तो सबसे पहले शहर के सभी वार्डों को मूलभूत समस्याओं से मुक्त करेंगी।

हार-जीत नहीं, कोशिश बड़ी चीज 

समता कालोनी निवासी सुषमा अग्रवाल ने भी पर्चा भरा है। उनका कहना है शहर में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। सड़कों पर गड्डा, नालियों में कचरा जाम होने से गंदगी से उठती बदबू को देख कर पीड़ा होती है। इसे स्वच्छ और हरा भरा शहर बनाना चाहती हूं। अभी तक हमारा शहर स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया। न मैं भारतीय जनता पार्टी से हूं न ही कांग्रेस पार्टी से। अपने सिद्धांतों पर चुनाव लड़ रही हूं। इससे पहले रायपुर दक्षिण का विधानसभा चुनाव लड़ा था, उस समय 191 वोट मिले। इस बार महापौर का चुनाव लड़ने चुनाव मैदान में हूं। हार मिले या जीत पर कोशिश करना सबसे बड़ी बात है। सुषमा अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने मैथ्स सब्जेक्ट में बीएससी किया है, साथ ही डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग कोर्स कर चुकी हैं।

हार-जीत से मतलब नहीं, पार्टी को  सबक सिखाना उद्देश्य 

भनपुरी निवासी गायत्री सिंह कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। उनके पति जिलाजीत सिंह कांग्रेस के जिला सचिव हैं। पार्टी से जिलाजीत को पार्षद पद की टिकट नहीं मिलने  से नाराज गायत्री अब बागी होकर पार्टी को सबक सिखाने के लिए महापौर पद के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। गायत्री ने बताया कि वह अपने वार्ड क्रमांक-4 यतियतनलाल वार्ड से पार्षद पद के लिए निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुकी है, जिसमें वह 195 वोट से पराजित हुई थी। इस बार उम्मीद थी कि उनके पति को पार्टी से टिकट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी को अब सबक सिखाने के लिए वह महापौर पद का चुनाव लड़ रही है। वह बताना चाहती है कि उनको भी वोट मिलते हैं।

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