CG जताई थी मंशा : हिस्ट्रीशीटर तपन की ‘जगह’ को हासिल करना चाहता था जोश
भिलाई। जिले का हिस्ट्रीशीटर तपन सरकार के स्पेस को हासिल करना चाहता था एनकाउंटर में मारा गया आदतन अपराधी अमित जोश। इसका खुलासा पुलिस ने खुद पहले किया था। अमित जोश जिले का बड़ा अपराधी था। बिना विवाद के ही भी वह किसी से भी भिड़ जाया करता था। पैसों के लिए लोगों को डरा धमकाकर हफ्ता वसूली कर खौफ जमाया करता था। अपराध जगत में खुद को बड़ा साबित करने के लिए अमित जोश ने मारपीट छोड़कर लोगों को जान से मारने की नीयत से हमला करना शुरू कर दिया।
इस बीच एक प्रकरण में पीड़ति की मौत होने पर उस पर हत्या का अपराध दर्ज हुआ। इसके अलावा पैसा कमाने के लिए लोगों से वसूली करता था। अपराधी अमित जोश की एक बड़ी टीम है, जिसे वह खुद ऑपरेट करता था। अमित की मौत के बाद से उसके गुर्गे भागे भागे फिर रहे हैं, लेकिन पुलिस भी इन अपराधियों पर नकेल कसने के लिए टीम बनाई है। अमित जोश की टीम में शामिल उसके गुर्गों की लिस्ट बनाना शुरू हो गई है। जिसके बाद से पुलिस एक- एक कर सभी के खिलाफ कार्रवाई करेगी। अमित का एनकाउंटर के बाद से जिले के आधा दर्जन से अधिक हिस्ट्रीशीटरों के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई है। यहां के ज्यादातर हिस्ट्रीशीटर अपनी सुरक्षा के लिए जेल को सुरक्षित समझने लगे थे। अब कई हिस्ट्रीशीटर जिला को छोड़कर अज्ञातवास में निकल गए है। पुलिस ने भी इनके मोबाइल नंबरों को हासिल कर लोकेशन ट्रेस कर पुराने अपराधों को खंगालाना शुरू कर दिया है। पुलिस ने अपराधी अमित जोश के संपर्क के हिस्ट्रीशीटरों की खोजबीन शुरु कर दी है।
मददगार भी लपेटे में
अमित जोश की मौत के बाद भी केस क्लोज नहीं किया जाएगा। ये कहना है जिला पुलिस कप्तान जितेंद्र शुक्ला का। उन्होंने कहा कि अमित के एनकाउंटर के साथ यह केस खत्म हो गया, ऐसा नहीं है। फरारी के दौरान आरोपी अमित जोश को 134 दिनों तक पनाह देने वाले और उसका संरक्षण करने वाले लोगों की पुलिस अब धरपकड़ शुरू करेगी। चार माह से अमित अलग-अलग जगह छिपकर पुलिस से बचता रहा था। अमित की मदद करने वालों में उसके परिवार के लोग या फिर जिले के बड़े हिस्ट्रीशीटरों का संरक्षण था। इसे लेकर पुलिस पड़ताल करना शुरू कर दिया है।
पुलिस जिंदा पकड़ना चाहती थी
अमित जोश पर पुलिस ने 40 हजार के इनाम की घोषणा भी की थी। एसपी जितेन्द्र शुक्ला के मुताबिक गोलीकांड के बाद अमित की लगातार पतासाजी की जा रही थी। पुलिस उसे जिंदा पकड़ना चाहती थी। इसलिए टीम ने उसे चेतावनी दी, लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में अमित जोश वह मारा गया। दुर्ग जेल में अमित का जेलर से विवाद हो गया। बाहर आने के बाद उसके घर में जाकर मारपीट कर दी। फरारी के दौरान पुलिस को चैलेंज किया कि पुलिस उसे पैर में ही गोली मारकर पकड़ेगी, लेकिन जब वो जेल से छूटकर बाहर आएगा तो वो उस पुलिस वाले के घर में घुसकर गोली मार देगा।