रायपुर। मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका असर छत्तीसगढ़ के अचानकमार, गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के साथ भोरमदेव अभयारण्य में भी देखने को मिल रहा है। कान्हा टाइगर रिजर्व के आधा दर्जन के करीब बाघ इन दिनों अचानकमार के साथ भोरमदेव में विचरण करते देखे गए हैं। साथ ही गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश, संजय दुबारी टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए एक बड़ा कॉरिडोर बन गया है। संजय दुबारी के बाघों की नियमित आवाजाही गुरु घासीदास में हो रही है।
गौरतलब है कि, कान्हा टाइगर रिजर्व में वर्ष 2023 की गणना के मुताबिक 129 बाघ होने की पुष्टि हुई है। इसी के साथ संजय दुबारी नेशनल पार्क में 30 के करीब बाघ हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से दोनों टाइगर रिजर्व में कैपिसिटी से ज्यादा बाघ हो गए हैं। इसके चलते बाघों को शिकार करने आपस में द्वंद्व करना पड़ता है। इस लिहाज से किशोर उम्र के बाघ नए टेरिटरी की तलाश में छत्तीसगढ़ के वनों की ओर आ रहे हैं।
लगाने के लिए रेडियो कॉलर तक नहीं
भटककर पहुंचे बाघों को रेस्क्यू करने के बाद किसी जंगल में छोड़ने की स्थिति में रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ने के निर्देश हैं। वन विभाग के पास रेस्क्यू किए बाघ को रिलीज करने पर लगाने रेडियो कॉलर तक नहीं है। पिछले दिनों चिरमिरी में रेस्क्यू बाघिन को एटीआर में छोड़ा गया। उस मादा बाघ को रेडियो कॉलर किसी दूसरी जगह से वन विभाग के अफसरों ने उधार लेकर लगाया। इसके बाद बाघिन को छोड़ा गया।
एक्सपर्ट टीम की कमी
बाघ प्रबंधन के मामले में वर्तमान में अचानकमार टाइगर रिजर्व के कर्मी प्रशिक्षित हैं। गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के स्टाफ बाघ प्रबंधन के मामले में प्रशिक्षित नहीं हैं। बाघों की आवाजाही बढ़ने से गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के स्टाफ को प्रबंधन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विषम भगौलिक स्थिति
गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व की भगौलिक स्थित काफी विषम है। टाइगर रिजर्व चारों तरफ घने जंगल के साथ पहाड़ तथा नदियों से घिरा हुआ है। इस लिहाज से टाइगर के आने-जाने के मूवमेंट पर निगरानी रखना एक बड़ी चुनौती है। बाघ के मूवमेंट की सटीक निगरानी पर्याप्त स्टाफ होने के बाद ही की जा सकती है।
बल की कमी से जूझ रहा टाइगर रिजर्व
गुरु घासीदास बाघ प्रबंधन के प्रशिक्षित स्टाफ से जहां एक ओर जूझ रहा है, दूसरी ओर वहां स्टाफ की भारी कमी है। जानकारी के मुताबिक गुरु घासीदास में वर्तमान में 60 प्रतिशत मैदानी अमले की कमी है। वर्तमान में जो 40 प्रतिशत बल है, वह भी कोर तथा बफर एरिया में जाने से बचते हैं।