Site icon khabriram

CG मां महामाया का श्रृंगार : माता को चढ़ाया गया डेढ़ करोड़ के सोने का मुकुट, साल में 3 बार होता है श्रृंगार

रतनपुर। छत्तीसगढ़ के रतनपुर शारदीय नवरात्र की नवमी पर रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में माता महामाया देवी का राजसी श्रृंगार किया गया। नवरात्र की नवमीं तिथि पर सुबह राजसी श्रृंगार के बाद मंदिर का पट खोला गया। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी नवरात्र की नवमी तिथि को मां महामाया देवी को रानीहार, कंठ हार, मोहर हार, ढार, चंद्रहार, पटिया समेत 9 प्रकार के हार, करधन, नथ धारण कराया गया।

राजसी श्रृंगार के बाद मां महामाया की महाआरती की गई। पूजा अर्चना के बाद मां को राजसी नैवेद्य समर्पित किया गया। मंदिर ट्रस्ट के द्वारा दोपहर में मंदिर परिसर में कन्या भोज और ब्राम्हण भोज का आयोजन के साथ मंदिर के पुरोहितों समेत ब्राम्हणों को भोज कराया जाएगा। साथ ही ज्योति कलश रक्षकों को भोज कराकर उन्हें वस्त्र और दक्षिणा प्रदान की जाएगी।

कन्या, ब्राम्हण भोज के बाद दोपहर पूजन सामग्री के साथ पुजारी सभी ज्योति कलश कक्ष में प्रज्जवलित मनोकामना ज्योति कलश की पूजा अर्चना कर मंत्रोच्चार के साथ ज्योति विसर्जित करने प्रक्रिया पूर्ण करेंगे। सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया मंदिर ट्रस्ट द्वारा वर्ष में दोनों नवरात्रि के नवमी तिथि और दशहरा,दीपावली और धनतेरस पर्व पर मां महामाया देवी जी का राजसी श्रृंगार किया जाता है। मां के इस रूप के दर्शन करने भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।

पूरे नौ दिन होती है विशेष पूजा 

रतनपुर के मां महामाया मंदिर में नवरात्रि में अनूठा अनुष्ठान किया जाता है। सभी मां के मंदिरों में नवरात्रि में नौ रुपों की पूजा होती है। पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रम्हाचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंध माता, छठवे दिन कात्यायिनी, सातवे दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौंवे दिन सिद्धिदात्री। महामाया मंदिर में कई अलग तरह से पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।

माता का किया जाता है राजसी श्रृंगार 

रतनपुर के महामाया मंदिर में पहले मां को जो पहले दिन वस्त्र पहनाया जाता है और श्रृंगार होता है। वह फिर अनुष्ठान के पूरे होते यानी आठवें दिन तक नहीं बदलता। मान्यता यह है कि, चूंकि, कोई भी अनुष्ठान में आदमी एक बार बैठ जाता है, तो उसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए आठवें दिन हवन के अगले दिन नवमी को मां का वस्त्र और श्रृंगार बदला किया जाता है और इस दिन मां का राजसी श्रृंगार किया जाता है।

Exit mobile version