नई दिल्ली : केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। ये समिति जो समलैंगिक जोड़ों की कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए उनकी शादी को वैध बनाने के मुद्दे पर विचार किए बिना प्रशासनिक कदम उठाएगी।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को इस समिति के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि समान-लिंग विवाह लेकर रिसर्च के सुझाव पर सरकार सकरात्मक है।
मामले में मंत्रालयों के बीच कॉर्डिनेशन की जरूरत
उन्होंने पीठ से कहा कि इस मामले में मंत्रालयों के बीच कॉर्डिनेशन की भी जरूरत है। बता दें कि इस मामले पर न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है। इस पीठ में एस के कौल, एस आर भट, हेमा कोहली और पी एस नरसिम्हा शामिल हैं।
याचिकाकर्ता दे सकते हैं अपना सुझाव…
मामले में सुनवाई के सातवें दिन मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में क्या प्रशासनिक कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर विचार करने के मुद्दे पर अपने सुझाव दे सकते हैं।
इससे पहले 27 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा था कि क्या समलैंगिक जोड़ों को उनकी शादी को वैध किए बिना सामाजिक कल्याण लाभ दिया जा सकता है?