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राजधानी का मां दंतेश्वरी धाम, लाल कपड़े में सूखा नारियल बाँधने से यहां होती है भक्तों की मन्नत पूरी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में वैसे तो कई देवी मंदिर हैं. लेकिन कुछ ऐसे देवी मंदिर हैं, जो प्राचीन और ऐतिहासिक हैं.उनमें से एक है राजधानी के कुशालपुर का सिद्धपीठ मां दंतेश्वरी मंदिर। जिसे राजधानी के लोग दंतेश्वरी मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में कलचुरीकालीन राजाओं के शासनकाल में हुआ था. इस मंदिर की खास बात ये है कि मां दंतेश्वरी का श्रृंगार साल में 365 दिन होता है. माता दंतेश्वरी को सोमवार और गुरुवार के दिन स्नान भी कराया जाता है. भक्त अपनी मन्नत के लिए लाल कपड़े में सूखा नारियल भी बांधते हैं। भक्तों की सभी मनोकामनाएं और मन्नत पूरी होती है।

हर भक्त की होती है मनोकामना पूरी

दंतेश्वरी मंदिर के सेवक सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि ” सिद्धपीठ मां दंतेश्वरी का यह मंदिर कलचुरी कालीन राजाओं के शासनकाल में 14 वीं शताब्दी में निर्माण कराया गया था। सिद्धपीठ दंतेश्वरी माता के इस मंदिर में लोग अपनी मन्नत और मनोकामना लेकर आते हैं. हर भक्त की मनोकामना और मन्नत माता की कृपा से पूरी होती है. कोई भी निराश होकर इस मंदिर से वापस नहीं जाता है. माता उनकी झोली जरूर भरती है. यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है.”

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दंतेश्वरी मंदिर के सेवक सुरेश कुमार शर्मा आगे बताते हैं कि “भक्त और श्रद्धालु माता दंतेश्वरी के इस मंदिर में अपनी मन्नत और मनोकामना के लिए लाल कपड़े में सूखा नारियल सोमवार और गुरुवार के दिन बांधते हैं. जिससे भक्तों की मनोकामना और मन्नत जरूर पूरी होती है. सिद्धपीठ दंतेश्वरी माता की आरती हर दिन सुबह और रात 8 बजे होती है. आरती के समय माता को प्रतिदिन पंचमेवा भी अर्पित किया जाता है. भक्त और श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार माता को चुनरी फल, फूल, नारियल और मिठाई सहित अन्य चीजें माता दंतेश्वरी को अर्पित करते हैं.”

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